बरेली : अपनी परीक्षा में फेल गुरुजी, सभी जिला स्तरीय शिक्षामित्र नेता भी फेल, योग्यता पर उठे सवाल
जागरण संवाददाता, बरेली: हाल ही में अध्यापक बने 22 सौ शिक्षामित्रों में से सिर्फ सौ शिक्षामित्र ही बेसिक स्कूलों में शिक्षक बनने के काबिल हैं। ज्यादातर शिक्षामित्र नेता भी फेल होने वालों में शामिल हैं। शिक्षक पात्रता परीक्षा(टीईटी) ने उनकी पोल खोल दी। परिणाम आया तो महज सौ शिक्षामित्र ही इसमें सफल हो सके हैं, बाकी 21 सौ समायोजित अध्यापक अर्हता के लिए जरूरी न्यूनतम अंक भी नहीं जुटा सके। सामान्य वर्ग में 91 तो ओबीसी वर्ग में कम से कम 82 अंक पाना अनिवार्य था। इससे बेसिक स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था सवालों के घेरे में आ गई है। सवाल उठ रहा है कि शिक्षक बनने की कसौटी पर खरे न उतरने वाले जिले के ये समायोजित शिक्षक बच्चों को कितनी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे रहे होंगे।
हालांकि शिक्षामित्र संघ का कहना है कि चूंकि पूरे प्रदेश में सिर्फ 17 प्रतिशत अभ्यर्थी ही पास हुए हैं, इस नाते उनका रिजल्ट खराब रहा तो चौंकाने वाली क्या बात है। जितना दूसरे बीटीसी ट्रेनिंग वाले सफल हुए उसी अनुपात में शिक्षामित्र भी। हालांकि शिक्षामित्र संघ का यह तर्क गले नहीं उतर रहा, जिसमें वे दूसरे अभ्यर्थियों के खराब प्रदर्शन से अपनी तुलना कर कैसे अपनी योग्यता को कटघरे में होने से बचा सकता है।
दरअसल शिक्षा का अधिकार अधिनियम(आरटीई)लागू होने के बाद से प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूल में शिक्षक बनने के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य है। शासन ने बगैर टीईटी के शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बना दिया। इस मामले में याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों के समायोजन को अवैध करार दिया तो मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है।
जहां 11 जुलाई को टीईटी के बगैर शिक्षामित्रों के समायोजन पर सुनवाई होनी है। ऐसे में हाल में जारी यूपीटीईटी रिजल्ट ने समायोजित शिक्षामित्रों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
बीएड-बीटीसी वाले भी फेल: शासन के निर्देश पर स्नातक पास शिक्षामित्रों ने दूरस्थ प्रणाली से बीटीसी ट्रेनिंग की। वहीं जिन लोगों ने सामान्य रूप से बीटीसी की ट्रेनिंग ली उनके भी रिजल्ट शिक्षामित्रों जैसे ही हैं। जिससे साफ पता चलता है कि बगैर टीईटी के शिक्षकों की भर्ती से बेसिक स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता कितनी खराब होगी।