एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग
की समस्त सूचनाएं एक साथ

"BSN" प्राइमरी का मास्टर । Primary Ka Master. Blogger द्वारा संचालित.

जनपदवार खबरें पढ़े

अटेवा अयोध्या अवकाश आंगनबाड़ी आंदोलन इलाहाबाद उत्तर प्रदेश उन्नयन उन्नाव उपस्थिति एनपीएस कन्वर्जन कास्ट कस्तूरबा कानपुर कार्यवाही कुशीनगर क्रीड़ा प्रतियोगिता गाजीपुर गोण्डा गोरखपुर चंदौली चुनाव जनपदवार खबरें जनपदीय रैली जर्जर भवन जीपीएफ जूनियर शिक्षक संघ जौनपुर ज्ञापन झांसी डायट देवरिया देहरादून नई दिल्ली नवोदय विद्यालय निपुण बैठक निरीक्षण निलम्बन नोटिस पदोन्नति परीक्षा कार्यक्रम पीलीभीत प्रतापगढ़ प्रदर्शन प्रयागराज प्रशिक्षण प्राथमिक शिक्षक संघ फर्जीवाड़ा बस्ती बायोमीट्रिक हाजिरी बेसिक क्रीड़ा प्रतियोगिता महराजगंज माता उन्मुखीकरण लखनऊ वाराणसी शाहजहांपुर शिक्षा विभाग संतकबीरनगर सिद्धार्थनगर

Search Your City

बस्ती : किताबें हैं नहीं कैसें पढ़ें परिषदीय छात्र? परिषदीय स्कूलों का सत्र एक अप्रैल से शुरू किताबें सितम्बर -अक्टूबर में मिलें तो बच्चों की पढ़ाई पर इसका असर पड़ना स्वाभाविक

0 comments

किताबें हैं नहीं कैसें पढ़ें परिषदीय छात्र?, परिषदीय स्कूलों का सत्र एक अप्रैल से शुरू किताबें सितम्बर -अक्टूबर में मिलें तो बच्चों की पढ़ाई पर इसका असर पड़ना स्वाभाविक

बस्ती: परिषदीय स्कूलों का सत्र एक अप्रैल से शुरू हो गया पर अब तक बच्चों को नई किताबें नहीं मिल सकी हैं। पता चला है कि नई किताबें अक्टूबर से पहले नहीं आ सकेंगी। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई बाधित होगी। विभाग ने नई किताबें आने तक वैकल्पिक व्यवस्था के तहत इंतजाम किया था कि जिन बच्चों का अगली कक्षा में नाम लिखा गया है उनकी किताबें शिक्षक जमा करा लें तथा नए बच्चों को पढ़ने के लिए वह दे दी जाएं। पर यह योजना सफल नहीं हो पा रही है। इसका मूल कारण सरकारी किताबों की गुणवत्ता है। शिक्षकों का कहना है कि सरकारी आपूर्ति की जो किताबें बच्चों को पढ़ने के लिए आती हैं उनका कागज इतना खराब होता है कि बच्चे उन्हें वर्ष भर संभाल कर नहीं रख पाते हैं। किताबों के पन्ने सत्र बीतते-बीतते फट जाती हैं या पन्ने बिखर जाते हैं। यदि सरकारी किताबों के कागजों की गुणवत्ता ठीक होती तो निश्चित रूप से वह दूसरे बच्चों के काम आ जातीं। इधर स्कूलों में जो पढ़ाई हो रही है वह भगवान भरोसे है। इक्का दुक्का जो पुरानी किताबें उपलब्ध हैं उन्हीं से शिक्षक किसी प्रकार पूरी क्लास को पढ़ा रहे हैं। अधिकांश स्कूलों में तो यह इंतजाम भी नहीं हो सका है। बस बच्चों को कक्षा में बांधे रखने के लिए शिक्षक सामान्य ज्ञान की ही जानकारी बच्चों को दे पा रहे हैं।

शिक्षकों का कहना है कि बच्चों के हाथ में किताबें होतीं तो उन्हें कक्षा में पढ़ाने में तथा गृह कार्य देने में सुविधा होती। किताबों के अभाव में अप्रैल और मई का पूरा समय तो बर्बाद होगा ही गर्मी की छुट्टी भी बर्बाद हो जाएगी। यह सोचने वाली बात है कि अप्रैल से शुरू हुआ सत्र और किताबें अक्टूबर में मिलें तो बच्चों की पढ़ाई पर इसका असर पड़ना स्वाभाविक ही है।

बीएसए ने कहा

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डा. संतोष कुमार ¨सह ने कहा कि किताबों की आपूर्ति शासन स्तर से होती है। जिले तक आने और स्कूलों तक पहुंचने में अमूमन सितंबर-अक्टूबर तक का समय व्यतीत हो जाता है। ऐसे में बच्चों को पुरानी किताबों से ही पढ़ाया जाता है। पुरानी किताबें उन बच्चों से एकत्र की जाती हैं तो अगली कक्षा में प्रवेश ले चुके होते हैं। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई पर कोई असर नहीं पड़ता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

महत्वपूर्ण सूचना...


बेसिक शिक्षा परिषद के शासनादेश, सूचनाएँ, आदेश निर्देश तथा सभी समाचार एक साथ एक जगह...
सादर नमस्कार साथियों, सभी पाठकगण ध्यान दें इस ब्लॉग साईट पर मौजूद समस्त सामग्री Google Search, सोशल नेटवर्किंग साइट्स (व्हा्ट्सऐप, टेलीग्राम एवं फेसबुक) से भी लिया गया है। किसी भी खबर की पुष्टि के लिए आप स्वयं अपने मत का उपयोग करते हुए खबर की पुष्टि करें, उसकी पुरी जिम्मेदारी आपकी होगी। इस ब्लाग पर सम्बन्धित सामग्री की किसी भी ख़बर एवं जानकारी के तथ्य में किसी भी तरह की गड़बड़ी एवं समस्या पाए जाने पर ब्लाग एडमिन /लेखक कहीं से भी दोषी अथवा जिम्मेदार नहीं होंगे, सादर धन्यवाद।