बरेली : गरीब स्टूडेंट्स को मुफ्त मिलेंगी किताबें, आरटीई के तहत एडमिशन पाने वाले स्टूडेंट्स को फ्री में देंगे बुक्स
🌑 आरटीई के तहत एडमिशन पाने वाले स्टूडेंट्स को फ्री में देंगे बुक्स
BAREILLY । विभिन्न स्कूल्स में राइट टू एजुकेशन (आटीई) के तहत एडमिशन पाने वाले स्टूडेंट्स किताबें खरीदने में प्रॉब्लम न हो इसके लिए कई स्कूल्स ने अनूठी पहल की है। कॉन्वेंट स्कूल्स ने कैंपस में बुक बैंक खोलने की तैयारी में हैं। जहां से इन स्टूडेंट्स को मुफ्त में किताबें मुहैया कराई जाएंगी। वहीं स्कूल्स ने इसके लिए अन्य स्टूडेंट्स के पेरेंट्स से कहा कि वह बच्चों की पुरानी किताबें जमा करवा दें ताकि आईटीई के तहत एडमिशन पाने वाले बच्चों को किताबें मुहैया कराई जा सकें।
शासन देता है 450 रुपए
नर्सरी और पहली क्लास में मुफ्त दाखिले के साथ बच्चे को मुफ्त किताबें भी देने का प्रावधान आरटीई में है। बच्चे की फ स के तौर पर स्कूलों को शासन से हर महीने 450 रुपये प्रति स्टूडेंट मिलता है, लेकिन किताबों के मद में कोई भुगतान नहीं होता। ऐसे में इन स्टूडेंट्स के पेरेंट्स को किताब व ड्रेस का खर्च खुद उठाना पड़ता है.जबकि नर्सरी और पहली क्लास में किताबों का खर्च अमूमन दो हजार रुपए और ड्रेस के दोनों सेट में तीन हजार का खर्च आता है। इसी कारण ऐसे बहुत से बच्चे एनजीओ पर भी निर्भर हैं। ऐसे बच्चों की मदद के लिए ही निजी स्कूल बुक बैंक खोलने जा रहे हैं। इस कड़ी में विद्या भवन पब्लिक स्कूल ने शहर का पहला बुक बैंक अपने कैंपस में खोल भी दिया है। प्रिंसिपल अनुरोध चित्रा ने बताया कि स्कूल मैनेजमेंट ने 20 स्टूडेंट्स को किताबें भी दी हैं। वहीं, आल्मा मातेर, पदमावती एकेडमी, माधव राव सिंधिया आदि बुक बैंक खोलने की तैयारी में जुट गए हैं।
बदल जाता है सिलेबस
बुक बैंक की पहल के बीच यह भी सवाल उठता है कि स्कूलों में लगभग हर साल किताबें बदल जाती हैं। ऐसे में बुक बैंक कितना कारगर होगा ? वहीं इस पर स्कूलों संचालकों का कहना है कि सिलेबस अपडेट होने पर कुछ ही किताबें बदलती हैं। ज्यादातर किताबें पेरेंट्स को नहीं खरीदनी होंगी ।
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