यहां फेल-पास कर रहे कर्मचारी : माशिसे चयन बोर्ड में टीजीटी-पीजीटी 2013 का मामला, ओएमआर शीट से छेड़छाड़
इलाहाबाद : सूबे में पहली मर्तबा शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) कराने वाली एजेंसी के साथ ही माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में टीजीटी-पीजीटी परीक्षा 2013 की ओएमआर शीट का मूल्यांकन करने वाली संस्था भी दागदार हो गई है। कई गड़बड़ियां सामने आने के बाद चयन बोर्ड नए सिरे से कार्बन कॉपी एवं ओएमआर शीट का मिलान कराकर परिणाम जारी कर रहा है। ऐसे में चयन बोर्ड के कर्मचारी ही अब युवाओं को फेल-पास का तमगा दे रहे हैं। इस पर भी सवाल उठ रहे हैं।
चयन बोर्ड की टीजीटी यानी स्नातक शिक्षक व पीजीटी यानी प्रवक्ता 2013 की परीक्षा के बाद चयनित एजेंसी ने ओएमआर शीट का मूल्यांकन किया था। कुछ अभ्यर्थियों को कम अंक मिले थे, लेकिन उन्हें उत्तीर्ण दिखाया गया। वहीं कुछ ऐसे भी थे जिनके ओएमआर शीट पर अंक अधिक थे, लेकिन वह अनुत्तीर्ण घोषित हो गए। परिणाम आने के बाद जनसूचना अधिकार अधिनियम का प्रयोग करके युवाओं ने इस गड़बड़ी का राजफाश किया। सूत्रों की मानें तो यह तथ्य भी सामने आए कि कई युवाओं ने संबंधित एजेंसी के जरिए वास्तविक प्राप्तांकों में हेराफेरी कराई है। ऐसे में चयन बोर्ड ने तय किया कि वह ओएमआर शीट एवं कार्बन कॉपी का मिलान करने के बाद ही परिणाम जारी करेगा। उसके बाद से चयन बोर्ड के कर्मचारी ही युवाओं के भविष्य का निर्धारण कर रहे हैं। मूल ओएमआर शीट के अलावा दो कार्बन कॉपी भी तैयार हुई। एक चयन बोर्ड सचिव एवं दूसरी अभ्यर्थी को सौंपी गई। अब मूल ओएमआर व सचिव की कार्बन कॉपी से मिलान कराकर परिणाम दिया जा रहा है। यह प्रक्रिया भी अब सवालों के घेरे में है।
युवाओं का कहना है कि जो गड़बड़ी एजेंसी ने पहले की थी वैसी ही गड़बड़ी कर्मचारी भी कर सकते हैं। युवाओं के जीवन से जुड़े प्रकरण को यूं ही नहीं टाला जा सकता। यही नहीं चयन बोर्ड ने कई गंभीर गड़बड़ियां पकड़ने के बाद अब तक एफआइआर आदि दर्ज भी नहीं कराई है। इसलिए विश्वसनीय एजेंसी के जरिए ही मूल ओएमआर शीट व कार्बन कॉपी का मिलान कराया जाए। चयन बोर्ड के अफसर कहते हैं कि इस कार्य में पूरी पारदर्शिता बरती जा रही है। यदि किसी को ऐतबार नहीं है तो वह जनसूचना आदि माध्यमों से सारी जानकारी हासिल कर सकता है।