इंटर या बीए में संस्कृत पढ़कर बनिए हिंदी शिक्षक : राजकीय एवं अशासकीय सहायता प्राप्त कालेज दोनों की अर्हताएं मान्य
युवाओं की बल्ले-बल्ले हो गई है। शासन ने हंिदूी शिक्षक बनने की अर्हता का अड़ंगा खत्म कर दिया है। अब इंटर संस्कृत व बीए हिंदी के साथ उत्तीर्ण हों या फिर संस्कृत और हिंदी विषय लेकर स्नातक पास करने वाले युवा हों, दोनों ही अशासकीय सहायता प्राप्त कालेजों में एलटी ग्रेड हिंदी शिक्षक बनने के लिए आवेदन कर सकते हैं। माध्यमिक शिक्षा परिषद के प्रस्ताव पर शासन ने मुहर लगा दी है। परिषद जल्द ही गजट कराकर बदली अर्हता माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में लागू कराएगा।
प्रदेश भर के राजकीय इंटर कालेज एवं अशासकीय सहायता प्राप्त इंटर कालेजों में हिंदी शिक्षक बनने की अर्हता अलग रही है। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने 19 दिसंबर 2015 को बैठक करके तय किया था कि सूबे के सभी कालेजों में हिंदी शिक्षक बनने की अर्हता समान कर दी जाए। ऐसे में राजकीय कालेजों में लागू अर्हता को ही अशासकीय सहायता कालेजों के लिए भी लागू कर दिया गया था। परिषद ने अर्हता बदलने पर मुहर लगाने के बाद उसका राजकीय मुद्रणालय से प्रकाशन भी करा दिया। इससे हिंदी शिक्षक बनने को आतुर युवाओं का एक समूह आहत हुआ। इस बदलाव के विरोध में माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र से लेकर माध्यमिक शिक्षा परिषद एवं शिक्षा निदेशक के कैंप कार्यालय लखनऊ तक में प्रदर्शन हुए। चयन बोर्ड, परिषद व कैंप कार्यालय के अफसरों ने शासन को इस घटनाक्रम से अवगत कराया, तब नए गजट को ज्यों का त्यों फाइल में कैद कर दिया गया। इस मामले में परिषद ने लगातार शासन को पत्र भी भेजे। आखिरकार शासन ने परिषद के नए प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि राजकीय कालेज एवं अशासकीय सहायता प्राप्त कालेज की अर्हता अशासकीय कालेजों के एलटी ग्रेड हिंदी शिक्षक पर लागू होगी। परिषद की सचिव शैल यादव ने ‘दैनिक जागरण’ को बताया कि शासन ने दोनों अर्हताओं को लागू करने की मंजूरी दी है। इससे सभी युवाओं को लाभ मिलेगा। शासन के निर्देश का जल्द गजट कराया जाएगा, ताकि उस पर अमल हो सके।
राजकीय कालेज की अर्हता: इंटर में संस्कृत व स्नातक हिंदी विषय से करने वाले अर्ह।
अशासकीय कालेज की अर्हता :हिंदी व संस्कृत विषय से स्नातक करने वाले अर्ह
यह हुआ बदलाव : अशासकीय सहायता प्राप्त कालेज के हिंदी शिक्षक के लिए इंटरमीडिएट में संस्कृत व स्नातक हिंदी विषय से करने वाले या फिर हंिदूी व संस्कृत विषय से स्नातक करने वाले दोनों अर्ह होंगे।