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आगरा : बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों को कान्वेंट-पब्लिक की तरह स्मार्ट बनाने की बात हो रही है, तब एक स्कूल की हालत हांडी के चावलों का पूरा हाल बताती

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आगरा : बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों को कान्वेंट-पब्लिक की तरह स्मार्ट बनाने की बात हो रही है, तब एक स्कूल की हालत हांडी के चावलों का पूरा हाल बताती

आगरा : सरकार कुछ भी बोले लेकिन आईना सच ही कहता है। बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों को कान्वेंट-पब्लिक की तरह स्मार्ट बनाने की बात हो रही है, तब एक स्कूल की हालत हांडी के चावलों का पूरा हाल बताती है। भैरो नाला स्कूल के एक कमरे में एक या दो नहीं, पूरी आठ कक्षाएं तक चल रही हैं। ऐसे में पढ़ाई की पूरी खिचड़ी बन जाती है।

सरकार सर्व शिक्षा अभियान में बिल्डिंग बनवाने के लिए लाखों रुपये देती है। नगर क्षेत्र में छत्ता वार्ड के प्राइमरी और जूनियर विद्यालय भैरो नाला को 1959 में जमीन दान में मिली थी। इसके बाद यहां पढ़ने वाले बड़े व्यापारी से लेकर अच्छे पदों पर पहुंचते रहे। परंतु विद्यालय का भवन कभी ठीक नहीं हुआ। अब विद्यालय का भवन 57 साल पुराना हो चुका है। पहले इस भवन में तीन विद्यालय प्राथमिक विद्यालय बेलनगंज, प्राथमिक विद्यालय भैरो नाला और उच्च प्राइमरी विद्यालय भैरो नाला संचालित होते थे। बाद में प्राइमरी विद्यालय बेलनगंज और भैरो नाला में दूरी कम होने की वजह से विलय कर दिया। अब इस भवन में प्राइमरी और उच्च प्राइमरी विद्यालय भैरो नाला संचालित हैं। स्कूल के दो कमरों में से प्राइमरी विद्यालय का कमरा मिड-डे मील की रसोई के नामांकित प्रयोग में आता है। एक कमरे में ही प्राइमरी और जूनियर की आठ कक्षा के बच्चों को बैठाया जाता है। चार शिक्षक इन्हें पढ़ाते हैं।

एक कमरे में सभी बच्चों का पढ़ाना किसी चुनौती से कम नहीं होता। अक्सर पढ़ाई खिचड़ी की तरह हो जाती है। शिक्षकों का कहना है कि वो कर भी क्या सकते हैं, उनकी तो मजबूरी है ऐसे पढ़ाना।
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नहीं आते बच्चे, 66 बच्चे ही नामांकित

स्कूल के हालत का असर छात्रों की संख्या पर भी पढ़ा है। अब प्राइमरी विद्यालय में 57 बच्चे पंजीकृत हैं, जबकि जूनियर विद्यालय में नौ ही पढ़ने वाले हैं। सुबह जब ठंडक रहती है तो शिक्षक कुछ बच्चों को बाहर बरामदे में बैठने को कह देते हैं। मगर, जब धूप तेज होने लगती है तो सारे बच्चे एक कमरे में आ जाते हैं।

पट्टी से होती है क्लास की पहचान

विद्यालय की पूर्व प्रधानाचार्य आरिफा ने बताया कि कमरे में बच्चों को पढ़ाना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे में बच्चों को कक्षावार बैठाने के लिए अलग-अलग पट्टी बिछाई जाती हैं। पहली पट्टी पर कक्षा एक, दूसरी पर कक्षा दो इस तरह क्रमश बच्चों को बैठाया जाता है। स्कूल में दो अन्य कमरे हैं लेकिन उनकी मरम्मत इसलिए नहीं होती, क्योंकि जमीन शिक्षा विभाग के नाम नहीं है।
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इनको तो छत भी मयस्सर नहीं

शहर में कई विद्यालय तो और भी खराब हालत में हैं। नगर क्षेत्र में प्राइमरी और उच्च प्राइमरी विद्यालय जगदीशपुरा की स्थिति ऐसी ही है। यहां पर बच्चे आसमान के नीचे पढ़ रहे हैं। विद्यालय का भवन गड्ढे में पहुंच चुका है। इतना ही नहीं जिस परिसर में स्कूल चल रहा है वहां पर केमिकल से भरे ड्रम रखे हैं, जिससे कभी भी हादसा होने की संभावना है।

मोतीकटरा, नई बस्ती विद्यालय का भी यही हाल
नगर क्षेत्र के प्राइमरी और उच्च प्राइमरी विद्यालय नई बस्ती मोती कटरा की भी स्थिति बेहद खराब है। यहां पर भी भवन जर्जर है। इसके बाद भी विभाग द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया।
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इन विद्यालयों को लेकर कई बार अधिकारियों को अवगत कराया गया है, लेकिन इसके बावजूद कोई ध्यान नहीं दिया गया। शिक्षक एक कमरे में बच्चों को पढ़ाने पर मजबूर हैं।
राजीव वर्मा, नगर मंत्री प्राथमिक शिक्षक संघ
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इन विद्यालयों के बारे में भवन की स्थिति की रिपोर्ट मांगी गई है। एक भवन का सर्वे भी हो चुका है। किराए की बिल्डिंग होने के कारण कुछ दिक्कतें आ रही हैं। इनका जल्दी समाधान कराया जाएगा।
धर्मेद्र सक्सेना, बीएसए


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