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श्रावस्ती : UP का ये युवा अफसर है 2-IN-1 कभी टीचर तो कभी जिला डीएम, संभालते है दो-दो ड्यूटीज

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श्रावस्ती : UP का ये युवा अफसर है 2-IN-1 कभी टीचर तो कभी जिला डीएम, संभालते है दो-दो ड्यूटीज

श्रावस्ती : यूपी में अक्सर अपने निगेटिव कामों के चलते सरकार के लिए कुछ अफसर सर दर्द साबित हो रहे हैं। वहीं इसी सरकार में कुछ ऐसे तेजतर्रार युवा अफसर हैं जो शासन की सकारात्मक छवि को न केवल आगे बढ़ा रहे हैं। बल्कि अपनी जुझारू कार्यशैली के चलते सुस्त पड़ चुके काम में जान फूंकने का काम कर रहे हैं।

युवा जिलाधिकारी नीतीश कुमार उन्ही अफसरों की फेहरिस्त में शामिल हैं। इन्हें अभी श्रावस्ती जिले में चंद दिन ही हुए हैं। इन्होंने जिले के एक सरकारी स्कूल में शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए टीचिंग करने का बीड़ा उठाया है। साथ ही इसे एक अभियान के रूप में चलाने के लिए विषय विशेष में पारंगत 25 अफसरों को भी अपने विभागीय काम से समय निकाल कर स्कूल में पढ़ाने का दायित्व सौंपा है।

डी एम की पाठशाला बना जिले का राजकीय बालिका इंटर कॉलेज जो कल तक शिक्षकों के अभाव के चलते उपेक्षित हो चला था डीएम के इस अभिनव प्रयोग के चलते एकाएक सुर्ख़ियों में आ चुका है।

प्रदेश के नक्शे में बेहद पिछड़े जिलों में शुमार होने वाला श्रावस्ती जिला यूं ही नहीं पिछड़ा है। इसका अंदाजा आप जिला मुख्यालय भिनगा में संचालित राजकीय बालिका इंटर कॉलेज की दशा देख कर लगा सकते हैं। जुलाई 2006 में बनकर तैयार हुए इस इंटर कॉलेज की मान्यता विज्ञान वर्ग में इंटरमीडिएट तक की है। मतलब कक्षा 6 से 12 तक की छात्राएं जो जिस भी विषय की इच्छुक हों, मनचाहा विषय ले सकती हैं।

लेकिन आपको जानकार हैरत होगी की लगभग 50 लाख की लागत व सभी भौतिक संसाधनों से लैस इस स्कूल में मात्र 17 छात्राएं ही पंजीकृत हैं। इसमें कक्षा 10 में 12 और कक्षा 12 में 5 बच्चे ही पढ़ते हैं। वहीं स्कूल में क्लास 6, 7, 8, 9, व 11 में एक छात्रा का भी एडमीशन नहीं है।

इसके पीछे का कारण और भी चौंकाने वाला है। इस पूरे स्कूल में प्रधानाध्यापिका व विषयों के प्रवक्ताओं समेत कुल 20 अध्यापिकाओं की तैनाती होनी है। लेकिन इसके सापेक्ष यहां मात्र एक अध्यापिका अकीला बानो है। अकीला उर्दू विषय की शिक्षिका हैं, जो कि वर्तमान में इस स्कूल में सेवा दे रही हैं।

मैडम अकीला के पास सभी विषयों को पढ़ाने की जिम्मेदारी समेत प्रधानाध्यापिका का भी चार्ज है। ऐसा नहीं है की इलेक्ट्रॉनिक संसाधनों के नाम पर यहां कुछ न हो। आपको यहां के कंप्यूटर रूम में 14 कंप्यूटर और मॉडर्न क्लास के लिए प्रोजेक्टेर भी नजर आएंगे। लेकिन उस कंप्यूटर रूप का ताला शायद ही कभी खुलता हो। कारण, यहां न कंप्यूटर पढ़ाने वाला शिक्षक ही है और न हीं छात्राएं।

श्रावस्ती में राजकीय बालिका इंटर कालेज एक अकेला ही स्कूल नहीं है जहां की शिक्षा बद से बदतर हो। यहां ऐसे दर्जनों स्कूल हैं जो शिक्षकों के अभाव का दंश झेल रहे हैं।

श्रावस्ती के नवागत युवा जिलाधिकारी नीतीश कुमार ने यूं तो जिले के विकास के लिए काफी रोडमैप तैयार किया है। लेकिन सबसे पहले जब उन्हें जिला मुख्यालय पर संचालित राजकीय बालिका इंटर कॉलेज की शिक्षकों के आभाव में बदहाल शिक्षा व्यवस्था की जानकारी हुई। तो उन्होंने अपने सारे कामों में से समय निकाल कर एक अनोखी कवायद चलाई।

उन्होंने जिले के दो दर्जन अधिकारियों को जिस भी विषय में पारंगत हों उनकी ड्यूटी सप्ताह में दो दिन राजकीय बालिका इंटर कॉलेज  में बतौर सब्जेक्ट टीचर के रूप में लगा दी। इस दौरान 2 घंटे छात्राओं को पढ़ाने का फरमान जारी कर दिया गया। वहीं विद्यालय में खुद सामाजिक विज्ञान व इतिहास पढ़ाने का दायित्व अपने हाथों में लिया।

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