यूपी में कानूनी पचड़े में फंसी 15 हजार शिक्षक भर्ती
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्राथमिक विद्यालयों में 15 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती में बीटीसी सत्र 2012 के अभ्यर्थियों को शामिल करने व उनके चयन पर राज्य सरकार व बेसिक शिक्षा विभाग से जवाब मांगा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस दौरान होने वाली नियुक्तियां याचिका के फैसले पर निर्भर करेंगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल ने 2008 सत्र की बीटीसी अभ्यर्थी कमला देवी की याचिका पर अधिवक्ता सीमांत सिंह को सुनकर दिया है। एडवोकेट सीमांत सिंह ने कोर्ट को बताया कि परिषदीय विद्यालयों में सहायक अध्यापकों के 15 हजार पदों पर भर्ती के लिए दिसंबर 2015 में शासनादेश जारी हुआ। इसके लिए दो वर्षीय बीटीसी और टीईटी उत्तीर्ण अनिवार्य अर्हता रखी गई। एनसीटीई की 11फरवरी 2011 की गाइडलाइन के मुताबिक टीईटी में शामिल होने के लिए वही अभ्यर्थी अर्ह होंगे,जोआवेदन की अंतिम तिथि तक बीटीसी उत्तीर्ण हैं या बीटीसी के अंतिम सेमेस्टर में हैं या अंतिम सेमेस्टर की परीक्षा दे चुके हैं।
इसके बावजूद टीईटी में आवेदन की अंतिम तारीख 21 जनवरी 2014 तक से अभ्यर्थियों ने भी आवेदन किया, जो बीटीसी सत्र 2012 के पहले सेमेस्टर के थे। कहा गया कि उन्हें टीईटी में शामिल कर लिया गया और परिणाम भी घोषित कर दिया गया।
इसी आधार पर 15 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती की काउंसिलिंग में सत्र 2012 के बीटीसी अभ्यर्थियों को भी शामिल कर लिया गया। बेसिक शिक्षा परिषद चयनित अभ्यर्थियों को 28 जून को नियुक्ति पत्र भी जारी करने जा रहा है।
याचिका में कहा गया है कि इस भर्ती में सत्र 2012 के बीटीसी वालों को शामिल करने से अन्यसत्र के अभ्यर्थियों को मौका नहीं मिला। याचिका में इन्हें नियुक्ति पत्र जारी करने पर रोक लगाने की मांग की गई है।