परिषदीय विद्यालयों में कैसे बटे मौसमी फल
चुनार(मीरजापुर): एक जुलाई से परिषदीय स्कूलों के खुलने के साथ ही छात्र-छात्राओं को मौसमी फल बांटना परेशानी का सबब बन गया है। शासन से निर्धारित पैसे में विद्यालयों के अध्यापक कैसे फल वितरित कराएं उन्हें समझ में नहीं आ रहा है।
बता दें कि पिछले वर्ष बेसिक विद्यालयों के बच्चो के एमडीएम के मीनू में परिवर्तन कर बुधवार को दूध वितरण के निर्देश राज्य सरकार ने दिए थे। हालांकि जुलाई के पहले सोमवार को स्कूल खुलने के साथ ही फल वितरण दिवस के रूप में मनाने के लिए प्रधानाध्यापक परेशान हैं। शासन से फल के लिए मात्र चार रुपये प्रति छात्र मिलेगा और इस महंगाई में यह राशि काफी कम है। मिड डे मील प्राधिकरण ने किसी भी हाल में खरबूजा, पपीता जैसे कटे फलों को बांटने से साफ मना किया है। फल दोपहर में भोजन के साथ न देकर सुबह देना है। बच्चो के पोषण की ²ष्टि से फल वितरण अच्छा प्रयास है लेकिन इसमें आने वाली व्यावहारिक परेशानी से शिक्षक खासे नाराज हैं। शिक्षकों का कहना है कि बच्चों को मौसमी फल देने में कोई परेशानी नहीं है। बशर्ते उसके लिए अलग से पर्याप्त बजट होना चाहिए। साथ में इसके लिए अलग से किसी को जिम्मेदारी देनी चाहिए जिससे की शिक्षण कार्य बाधित नहीं है। कई ऐसे विद्यालय हैं जहां एक-दो शिक्षक है। ऐसे में शिक्षण कार्य पूरी तरफ प्रभावित होना स्वाभाविक है।