स्कूलों में न बिजली है और न पीने को पानी
जिले में 2464 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय है। इनमें से अधिकांश विद्यालयों में न तो पेयजल आपूर्ति का बंदोबस्त है और न ही बिजली और पंखों का इंतजाम है। शौचालयों की साफ-सफाई न होने से दुर्गंध से बुरा हाल है। नक्सल प्रभावित इलकों के 300 अधिक विद्यालयाें ऐसे हैं, जहां अक्सर शिक्षक पहुंचते ही नहीं हैं। उन इलाकों की शिक्षा व्यवस्था चरमराई हुई है।
जिले में 1810 प्राथमिक और 654 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं। प्राथमिक विद्यालयों में करीब 3100 शिक्षक और 1250 शिक्षामित्र हैं। उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 1130 शिक्षक एवं 605 अनुदेशकों की तैनाती है। नियमानुसार 30 विद्यार्थियों पर एक अध्यापक की तैनाती होनी चाहिए लेकिन शिक्षकों की संख्या इस मानक के हिसाब से बहुत कम है। वर्तमान में प्राइमरी और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में करीब ढाई लाख बच्चे पंजीकृत हैं।
अब तक जिले के महज 154 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में ही कंप्यूटर लगाया जा सका है। विद्यालयों के आसपास की सफाई पर कोई ध्यान नहीं देता, जिसके चलते गंदगी का अंबार लगा हुआ है। डेढ़ हजार से अधिक विद्यालयों की रंगाई-पुताई वर्षों से नहीं हुई है जबकि हर साल औसतन साढ़े सात हजार रुपये प्रति विद्यालय को मरम्मत के मद में दिया जाता है। बेसिक शिक्षाधिकारी मनभरन राम राजभर का कहना है कि सभी प्रधानाध्यापकों को 31 मई तक विद्यालयों की साफ-सफाई और पेयजल की व्यवस्था कराने को कहा गया है। एक जुलाई से विद्यालय खुलेंगे। उन्होंने कहा कि जिले में शिक्षकों की कमी है और शासन से शिक्षकों की तैनाती की मांग भी की गई है।