प्रदेश में जुलाई से शैक्षिक सत्र की तैयारी
प्रदेश के परिषदीय एवं माध्यमिक विद्यालयों का शैक्षिक सत्र एक बार फिर से जुलाई से करने की तैयारी चल रही है। स्कूलों के प्रबंधन, प्रधानाचार्यों एवं शिक्षकों की मांग पर विभागीय मंत्रियों की रजामंदी के बाद बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा निदेशकों की ओर से प्रस्ताव तैयार करके संबंधित विभाग के सचिव के पास भेजा गया है। इस प्रस्ताव की मंजूरी के लिए प्रधानाचार्यों एवं शिक्षकों का शासन एवं प्रदेश सरकार के मंत्रियों पर लगातार दबाव पड़ रहा है। उम्मीद है कि बीच सत्र में ही शैक्षिक सत्र जुलाई कर दिया जाए।
सत्र परिवर्तन के लिए पूर्व में शिक्षा विभाग के अधिकारी रहे सत्ताधारी दल से जुड़े एक व्यक्ति प्रधानाचार्यों एवं प्रबंधकों से वादा किया है। सरकार भी चुनावी वर्ष में परिषदीय विद्यालयों एवं माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों को नाराज नहीं करना चाहती है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि बीच सत्र में ही सरकार एक बार फिर से शैक्षिक सत्र अप्रैल से बदलकर जुलाई कर दे। प्रदेश के माध्यमिक एवं परिषदीय विद्यालयों का शैक्षिक सत्र 2015 में बदलकर जुलाई से अप्रैल कर दिया गया। शैक्षिक सत्र बदलाव के बाद गर्मी में भी प्राथमिक, उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों सहित माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों एवं प्रधानाचार्यों को अप्रैल-मई में स्कूल आना पड़ रहा है।
हालत यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों में बिजली-पानी की सही व्यवस्था नहीं होने के कारण बच्चे स्कूल नहीं आते, इस कारण से बिना बच्चों के शैक्षिक सत्र में बदलाव की मंशा पूरी नहीं हो रही है। मार्च से नया सत्र शुरू होने के कारण जनवरी के बाद रिटायर होने वाले शिक्षकों एवं कर्मचारियों को मार्च में ही स्कूल से बाहर होना पड़ रहा है जबकि पहले सत्र लाभ के चलते शिक्षक-कर्मचारी 30 जून तक विद्यालय में कार्यरत रहते थे। इस बात को शिक्षकों ने सरकार के सामने मजबूती से रखा है। ऐसे में शैक्षिक सत्र जल्द जुलाई हो सकता है।