लखनऊ : एडमिशन के लिए हफ्तों दौड़ा रहा ‘‘आरटीई सेल, हजारों फार्मो का नहीं हो पा रहा निस्तारण अभिभावकों को सही जानकारी देने वाला कोई नहीं
लखनऊ : गरीब बच्चों को राइट टू एजूकेशन (आरटीई) के माध्यम से नामी स्कूलों में मुफ्त एडमिशन कराने की योजना की शुरुआत तो अच्छी रही लेकिन अब गरीब माता-पिता रोजाना सेल के चक्कर लगा रहे हैं और अधिकारी उनसे सीधे मुंह बात भी नहीं कर रहे हैं। शिक्षा भवन स्थित बेसिक शिक्षा विभाग के आरटीई सेल में इस वर्ष करीब तीन हजार से अधिक फार्म उन गरीबों के आए, जो अपने बच्चों को अच्छे व नामी स्कूल में तो पढ़ाना चाहते हैं, लेकिन उनके हाथ खाली हैं। पिछले वर्ष जिलाधिकारी राजशेखर के हस्तक्षेप से सैकड़ों गरीबों को नामी स्कूलों में अपने बच्चों को दाखिला कराने का मौका मिल गया था, लेकिन इस वर्ष यह सभी गरीब सिर्फ विभाग के चक्कर लगा रहे हैं। रानीगंज निवासी बबली राजपूत अपने बच्चे किसना के एडमिशन के लिए चक्कर लगा रही हैं। वे कहती हैं कि फार्म भरे हुए हफ्तों बीतगये, लेकिन कोई भी सही जानकारी नहीं दे रहा है कि उनके बच्चे का एडमिशन पायनियर मान्टेन्सरी स्कूल में हो पाएगा या नहीं। उन्होंने बताया कि उनसे कई ‘‘आप्सन’ भी लिखवाए गये, लेकिन वह अपने बच्चे को उक्त अच्छे स्कूल में पढ़ाना चाहती हैं। कुछ यही हाल है 462/210 हुसैनाबाद स्थित रूबीना का, वह भी अपने बच्चे मो.जमील के एडमिशन के लिए परेशान हैं। वह हर सप्ताह विभाग आकर जिला समन्वयक की चिरौरी करती हैं, लेकिन उन्हें कोई बताने वाला नहीं है कि उनके बच्चे का एडमिशन कब और कैसे हो सकेगा। 536 क/609 मक्कागंज खदरा निवासी नन्दिनी का भी यही हाल है। वह अपनी बिटिया अमीषा के एडमिशन के लिए एडमिशन चाहती हैं, लेकिन आरटीई सेल के बाबू उन्हें जांच व सत्यापन के नाम पर डेढ़ महीने से टरका रहे हैं। मुर्गखाना हुसैनाबाद निवासी मोहम्मद मोईन व निकहत फातिमा भी मो.हमजा के दाखिले के लिए कई दिनों से दौड़ रहे हैं, लेकिन विभागीय अधिकारी उन्हें घटिया स्कूल लेने के लिए दबाव बना रहे हैं। इस बाबत जब मंगलवार को जिला समन्वयक श्रीमती विजय लक्ष्मी के बारे में पूछा गया तो पता चला कि उन्हें चोट लग गयी है और वह छुट्टी पर हैं, जब वह आएंगी तभी जानकारी मिल सकेगी।