ढाई गुना नहीं, सिर्फ 14 फीसदी बढ़ा वेतन
कर्मचारियों में इस बात को लेकर नाराजगी है कि सरकार सातवें वेतन आयोग के तहत वेतनवृद्धि को लेकर भ्रामक प्रचार कर रही है। कर्मचारियों का कहना है कि वेतन में ढाई गुना नहीं, बल्कि महज 14 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जो छठे वेतन आयोग में हुई वेतनवृद्धि से भी बहुत कम है। कर्मचारियों ने इसे आंकड़ों के साथ साबित किया है और सरकार से मांग की है कि सातवें वेतन आयोग को लेकर स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट की जाए।
सबसे कम वेतन पाने वाले मल्टी टास्किंग स्टाफ की ही बात करें तो सातवें वेतन आयोग के तहत महज 14.28 फीसदी की वेतन वृद्धि हुई है जबकि सरकार दावा कर रही है कि वेतन ढाई गुना बढ़ा है। दरअसल, सरकार आंकड़ों का गलत इस्तेमाल कर रही है। एमटीएस कर्मचारियों को छठे वेतन आयोग के तहत सात हजार हजार रुपये न्यूनतम मूल वेतन मिल रहा है। अब उनका कुल न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपये हो गया है। सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया कि सात हजार रुपये मूल वेतन पाने वाले कर्मचारी को 1800 रुपये ग्रेड पे और 125 फीसदी महंगाई भत्ते समेत कुल 15750 रुपये मिल रहा है। ऐसे में न्यूनतम वेतन कुल 18 हजार रुपये किए जाने पर वेतन वृद्धि 2250 रुपये की हो रही है, जो वर्तमान वेतन का 14.28 फीसदी है।
इसी तरह कोई सीनियर ऑडिट अफसर 29 जुलाई को रिटायर हुआ तो मूल वेतन, ग्रेड पे और 125 फीसदी महंगाई भत्ता समेत उसे 74160 रुपये वेतन मिल रहा था। वहीं, सातवें वेतन आयोग के तहत निर्धारित फार्मूले से इसी पद पर कुल वेतन 85 हजार 221 रुपये हो रहा है। यानी 10611 रुपये की वेतनवृद्धि हो रही है, जो वर्तमान में मिल रहे वेतन 74160 रुपये का महज 14.22 फीसदी है। आल इंडिया ऑडिट एंड एकाउंट एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष चंद्र पांडेय का कहना है कि सरकार वेतन वृद्धि को लेकर भ्रामक प्रचार न करे और स्थिति स्पष्ट करे। सीओसी के जिलाध्यक्ष टीपी मिश्र, कर्मचारी नेता प्रमोद मिश्र, प्रखर श्रीवास्तव, विजय कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि कर्मचारी अपने हक के लिए आंदोलन करेंगे।