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लखनऊ : यूपी: सातवां वेतन आयोग बढ़ाएगा बोझ, पहले ही 56 हजार करोड़ हो रहा है खर्च

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यूपी: सातवां वेतन आयोग बढ़ाएगा बोझ, पहले ही 56 हजार करोड़ हो रहा है खर्च

वेतन आयोगों की सिफारिशें और उनको लेकर कर्मचारियों की शिकायतों के अपने तर्क हैं। पर, सूबे की राजकोषीय व्यवस्था का आकलन करें तो सरकार के कुल खर्च का एक तिहाई से ज्यादा हिस्सा कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और पेंशन में ही खप जाता है। यह हिस्सेदारी दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है।

ऐसा तब है जब सरकारी महकमों में बड़े पैमाने पर पद खाली हैं। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को यदि प्रदेश सरकार लागू करे तो सालाना 23 हजार करोड़ रुपये का बोझ बढ़ने की संभावना है।

प्रदेश में 21 लाख से ज्यादा कर्मचारी और पेंशनर हैं। इनमें शिक्षक व सहायता प्राप्त संस्थाओं के कर्मी भी शामिल हैं। वित्त वर्ष 2016-17 के बजट प्रस्तावों को देखें तो सूबे की कमाई की तुलना में खर्च दोगुना तक पहुंच गया है।

वर्तमान में वेतन, पेंशन और भत्ते पर कुल राजस्व खर्च का करीब 34.1 फीसदी खर्च हो रहा है। इसमें सरकारी कर्मचारियों के वेतन व भत्तों पर कुल राजस्व खर्च का 13.1 फीसदी तथा सहायता प्राप्त संस्थाओं के वेतन-भत्ते पर 13 फीसदी खर्च होने का आकलन किया गया है। पेंशन में कुल खर्च का 8.3 फीसदी जाता है।

वर्ष 2009-10 से 2016-17 के बजट आंकड़ों के हिसाब से वेतन व भत्तों में करीब 56,937 करोड़ रुपये और पेंशन में 17,428.33 करोड़ रुपये से ज्यादा की वृद्धि हुई है।

वित्त विभाग के वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि सरकारी विभागों में काम का बोझ लगातार बढ़ रहा है। बेरोजगारी भी चरम पर है। सरकार पर बड़े पैमाने पर नए पदों के सृजन के दबाव हैं। वेतन विसंगतियां दूर करने के लिए पिछले तीन साल में काफी पद बढ़ाने पड़े हैं।

पिछले दो साल के भीतर बड़े स्तर पर नियुक्तियां हुई हैं और दैनिक कर्मचारियों को नियमित किया गया है। ऐसे में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर अमल के समय सूबे की आर्थिक स्थिति पर भी ध्यान देना होगा।

हालांकि सरकार आगामी विधानसभा चुनाव से पहले इस संबंध में फैसला करने को लेकर गंभीर है। इसके लिए कैबिनेट की मंजूरी लेकर जल्द ही सातवीं वेतन समिति का गठन कर दिया जाएगा, जो केंद्र की सिफारिशों का अध्ययन कर राज्य के परिप्रेक्ष्य में अपनी सिफारिशें देगी।

राज्य कर्मचारी--13.1 फीसदी
सहायता प्राप्त संस्थाओं के कर्मचारी--13.0 फीसदी
पेंशन--8.3 फीसदी
योग--34.4 फीसदी

आठ साल में इस तरह बढ़ा खर्च (करोड़ रुपये में)
वित्त वर्ष--वेतन--पेंशन
2009-10--32861.11--11074.43
2010-11--39438.98--12617.84
2011-12--46922.39--14127.06
2012-13--52231.57--17920.61

2013-14--54363.41--19521.21
2014-15--61557.74--22304.61
2015-16--75387.42--24934.08
2016-17--89798.83--28502.76

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