बदायूं : तो क्या स्कूलों में होगी बगैर किताबों के पढ़ाई ! शिक्षा विभाग ने पास आउट बच्चों की पुरानी किताबों से पढ़ाने का दिया निर्देश
बदायूं : कमाल की व्यवस्था। शिक्षा के नाम पर सरकारी खजाने से दौलत तो बेशुमार खर्च की जा रही, मगर पढ़ने के लिए बच्चों के पास किताबें तक नहीं हैं।
सोमवार को सुबह आठ बजे से बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालय खुलेंगे। पढ़ने के लिए गरीबों के बच्चे जरूर पहुंचेंगे, पर उनके पास किताबें नहीं होंगी। क्योंकि शासन ने अभी तक निश्शुल्क किताबें ही उपलब्ध नहीं कराई हैं। अलबत्ता या तो विद्यार्थी बिना किताबों के ही पढ़ेंगे, या फिर किसी की पुरानी किताबों के सहारे भविष्य संवारने के लिए अक्षर ज्ञान लेंगे। 1बेशक, शासन शिक्षा व्यवस्था में सुधार के तमाम दावे करता है मगर बुनियादी शिक्षा की पहली सीढ़ी पर ही दावा स्याह दिखने लगता। जिले के परिषदीय विद्यालयों में कक्षा एक से लेकर आठवीं तक करीब पौने तीन लाख विद्यार्थी पंजीकृत हैं। उन्हें पढ़ाई के साथ दोपहर का भोजन, दूध और पोषक तत्वों की भरपाई के लिए फल आदि देने तक की व्यवस्था की जाती है मगर पढ़ाई से संबंधित जरूरी सुविधाओं पर गंभीरता नहीं दिखती। शायद यही वजह है कि बच्चों की पढ़ाई के लिए जुलाई माह तक शासन किताबों का प्रबंध नहीं कर सका। लिहाजा बिना किताबों के विद्यार्थियों का पढ़ाई में कितना मन लगेगा। यह सहज ही समझा जा सकता है। वहीं अधिकारियों की मानें तो अभी तक यह तय भी नहीं हुआ है कि कब तक किताबें आएंगी। इसलिए किताबों के मुद्दे पर वह भी चुप हैं। एक प्रधानाचार्य का कहना है कि बुनियादी स्तर पर शिक्षा में लापरवाही की वजह से शिक्षित बेरोजगारों की जमात बढ़ती जा रही है। अगर निश्शुल्क किताबें देने की व्यवस्था है तो उसे समय पर पूरा किया जाना चाहिए।
अभी शासन से किताबें नहीं मिली हैं। कब तक मिलेंगी। इस बारे में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। विद्यालयों को निर्देशित किया है कि जो बच्चे पास आउट हो चुके हैं। उनकी किताबें लेकर, बच्चों को पढ़ाएं।
- प्रेमचंद्र यादव, बीएसए