नक्सल क्षेत्र के विद्यालयों में अध्यापकों का टोटा
चकिया (चंदौली) : बेसिक शिक्षा के सुधार के लिए सरकार भले ही पानी की तरह पैसा बहा रही है पर हकीकत में
चकिया (चंदौली) : बेसिक शिक्षा के सुधार के लिए सरकार भले ही पानी की तरह पैसा बहा रही है पर हकीकत में कुछ नहीं हो रहा है। विद्यालयों में अध्यापकों की कमी से शिक्षा का बंटाधार होता जा रहा है। अध्यापकों की कमी के चलते दर्जनों प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय राम भरोसे चल रहे हैं। अधिकांश विद्यालय चहारदीवारी विहीन हैं। विद्यालयों में हमेशा पशु विचरण करते रहते हैं। नक्सल प्रभावित इलिया इलाके के परिषदीय विद्यालयों की ओर नजर करें तो स्थिति चौकाने वाली है। प्राथमिक विद्यालय रोहाखी, निचोट कला, ताला, तेंदुई, लेहरा, कटवा माफी, डेहरी, घोड़सारी समेत शहाबगंज ब्लाक के 12 प्राथमिक व मनकपड़ा, सैदूपुर, माल्दह, खखड़ा समेत 37 पूर्व माध्यमिक विद्यालय प्रधानाध्यापक विहीन चल रहे हैं। सहायक शिक्षकों के सहारे शिक्षा की गाड़ी खींची जा रही है। शिक्षकों के अभाव में पठन पाठन पूरी तरह प्रभावित है। शिक्षण कार्य के अलावा विद्यालयों की दशा खराब है। उसरी, सांवर सोत, सुल्तानपुर, गांधी नगर समेत तमाम विद्यालयों की अर्द्ध निर्मित चहारीवारी के कारण पशुओं का विचरण बराबर बना रहता है। पशु विद्यालय परिसरों में पहुंचकर गंदगी फैलाते हैं। गंदगी के चलते विद्यालय का वातावरण दूषित बना रहता है। विद्यालय परिसरों में व्याप्त गंदगी की ओर शिक्षकों सहित उच्चाधिकारियों का ध्यान नहीं है। विद्या का मंदिर घास फूस व गंदगी से जहां तहां पटा पड़ा हुआ है।
क्या कहते हैं अधिकारी
खंड शिक्षा अधिकारी शहाबगंज धर्मेंद्र मौर्य कहते हैं कि शिक्षकों के अभाव में विद्यालय प्रधानाध्यापक विहीन हैं। चहारदीवारी के लिए धन की मांग की गई है। एडीओ पंचायत को पत्र लिखकर नियमित विद्यालयों की सफाई सुनिश्चित कराने को कहा गया है।