इंजीनियरिंग स्नातकों को अध्यापक भर्ती में शामिल न करने पर जवाब-तलब
हाईकोर्ट ने इंजीनियरिंग के साथ बीएड डिग्री धारक स्नातकों को माध्यमिक विद्यालयों में अध्यापक न बनाए जाने पर राज्य सरकार और एनसीटीई से जवाब मांगा है। कोर्ट ने जानना चाहा है कि इन डिग्री धारकों को अध्यापक क्यों नहीं बनाया जा सकता है। कोर्ट ने पूछा है कि जब विज्ञापन में अर्हता स्नातक या समकक्ष है और उसके साथ बीएड डिग्री मांगी गई है तो इंजीनियरिंग स्नातकों को भर्ती के योग्य क्यों नहीं माना जा रहा है।
मुरादाबाद की श्वेता चौहान की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मनोज मिश्र ने 23 अगस्त तक इस मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। याची के अधिवक्ता क्षितिज शैलेंद्र का कहना था कि याची इंजीनियरिंग में मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में स्नातक है। उसने बीएड का एक वर्षीय कोर्स भी किया है। एलटी ग्रेड अध्यापकों की नियुक्ति हेतु जारी विज्ञापन में गणित और विज्ञान के अध्यापकों हेतु शैक्षिक योग्यता स्नातक में गणित या विज्ञान विषय का होना अनिवार्य है। याची ने पद के लिए आवेदन किया। उसकी काउंसलिंग भी कराई गई, मगर यह कहकर अयोग्य करार दे दिया कि वह निर्धारित अर्हता नहीं रखती है। याचिका में कहा गया कि इंजीनियरिंग स्नातक विज्ञान और गणित विषय में विशेष दक्षता रखती हैं। इसके बावजूद उनको गणित-विज्ञान के स्नातक के समकक्ष नहीं माना गया है। कोर्ट ने प्रदेश सरकार और एनसीटीई से यह स्पष्ट करने को कहा है कि समकक्ष डिग्रियों का क्या आधार है। किन डिग्रियों को किस कारण गणित-विज्ञान स्नातक (बीए-बीएससी) के समकक्ष माना गया है।