बरेली : एमसीए डिग्रीधारी करेंगे बेसिक स्कूलों में मास्टरी, आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि अच्छी खासी संख्या में बीएड में बीटेक और मैनेजमेंट डिग्रीधारी युवाओं ने एडमिशन लिया
बरेली वरिष्ठ संवाददाता : लाखों रुपये खर्च कर इंजीनियरिंग और प्रबंधन की पढ़ाई करने वाले युवाओं को मास्टरी भा रही है। आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि अच्छी खासी संख्या में बीएड में बीटेक और मैनेजमेंट डिग्रीधारी युवाओं ने एडमिशन लिया है। करीब 10—20 फीसदी तकनीकी और प्रबंधन डिग्रीधारी है। कई एमसीए डिग्रीधारक भी हैं। बीएड के लिए न्यूनतम योग्यता स्नातक है। बीएड कॉलजों में बीटेक, एमबीए, एमसीए, एमटेक और पीएचडी कर चुके स्टूडेंट भी एडमिशन ले रहे हैं। अकेले रुहेलखंड विवि में 100 सीटों पर हुए दाखिले में 15 स्टूडेंट बीटेक, एमबीए, एलएलबी, एमसीए तक कर चुके हैं। रुहेलखंड यूनिवर्सिटी एजुकेशन विभाग में प्रो. बीआर कुकरेती मानते हैं कि बीटेक, एमबीए की पढ़ाई पूरी कर चुके स्टूडेंट सरकारी नौकरी को प्राथमिकता दे रहे हैं। इसके लिए बीएड बेहद सुलभ मान रहे हैं। रुपेश कुमार शुक्ला, जावेद अख्तर सुशांत चौधरी, ईशा सहित कई ऐसे नाम है, जिन्होंने तकनीक प्रबंधन की डिग्री हासिल की और अब शिक्षक बनना चाहते हैं।
केस 1 संदीप गंगवार ने रुहेलखंड विवि से 2015 में बीटेक केमिकल इंजीनियरिंग से किया। प्राइवेट सेक्टर में जाने के बजाय संदीप ने गवर्नमेंट जॉब की तैयारी शुरू की। सिविल सर्विसेज, एसएससी, बैंक पीओ सहित कई परीक्षाएं दी। उनका कहना है कि इसमें समय लग सकता है। इसलिए वे बीएड भी कर रहे हैं।
केस 2 चंदौसी के रहने वाले अनूप कुमार ने विवि से एमसीए किया। प्राइवेट कंपनियों में नौकरी की पर रास नहीं आई। अब वे सिविल सर्विसेज, बैंक, एसएससी के जरिए सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं। अनूप बीएड को भी सरकारी नौकरी में जाने का जरिया मानते हैं।
केस 3 रुहेलखंड विवि से तीन साल पहले एमबीए कर चुकी शाहजहांपुर की रुनझुन अग्रवाल ने पहले एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी शुरू की। बाद में बीएड कर शिक्षक बनने की ठानी। काउंसलिंग में रुहेलखंड विवि आवंटित हो गया है।रुनझुन का कहना है कि वे शिक्षक बनना चाहती हैं।