कैसी पढ़ाई, बच्चे कर रहे धान की रोपाई : बच्चों की पढ़ाई-लिखाई होगी या नहीं यह खेती किसानी का तय करता है सीजन, बेसिक शिक्षा का बुरा हाल
सिद्धार्थनगर: क्या आपको पता है कि बच्चों की पढ़ाई-लिखाई होगी या नहीं यह खेती किसानी का सीजन तय करता है। कागजी ¨ढढोरा पीटना तो बेसिक शिक्षा परिषद का पुराना अंदाज है। स्कूल खुल गए मगर बच्चे गायब हैं। गुरूजी लोगों की माने तो वे धान की रोपाई में व्यस्त हैं। जब बच्चे नहीं तो गुरु जी ही स्कूल में रहकर क्या करेंगे। सो, कोई न कोई बहाना उन्हें भी स्कूल से रवाना कर देता है। जिले के दूर दराज की बात छोड़िए जनाब, शहर से सटे गांव में मौजूद स्कूलों की तस्वीर देख लेंगे तो दिमाग भन्ना जाएगा। स्वाभाविक रूप से मन में यह ख्याल आए जाएगा कि आखिर सरकार करोड़ों रुपये बरबाद क्यों कर रही है?
जागरण टीम शनिवार को सदर ब्लाक के कुछ परिषदीय स्कूलों पर आन स्पाट हुई। शुरुआत पूर्व माध्यमिक विद्यालय रोमापार से की गयी। पंजीकृत 50 बच्चों के सापेक्ष 10 मिले। बाकी कहां हैं के सवाल पर प्रधानाध्यापिका सुशीला देवी ने बेहद मासूमियत से जवाब दिया कि असल में धान रोपाई का दौर चल रहा है, बच्चे में उसी में व्यस्त हैं। रोपाई खत्म होते ही सब आने लगेंगे। बगल मौजूद प्राथमिक विद्यालय में नामांकित 134 बच्चों के सापेक्ष मिले सिर्फ सात। यहां हाल ही में तैनात एक शिक्षक सहित कुल सात चेहरे नियुक्त हैं जिन्हें पढ़ाने का जिम्मा मिला है मगर नजर आए पांच, बताया कि दो लोग अचानक छुट्टी पर चले गए। थरौली प्राथमिक विद्यालय में चार का स्टाफ तैनात हैं, एक अध्यापिका कारण सहित अनुपस्थित मिली। जबकि नामांकित 88 के सापेक्ष 12 बच्चे खेलते कूदते नजर आ गए। प्राथमिक विद्यालय जगदीशपुर खुर्द में 88 के सापेक्ष 12 बच्चे मिले। तीन शिक्षिकाएं अलग अलग कारण से गायब थीं। प्राथमिक विद्यालय बेलसड़ की तस्वीर अपेक्षाकृत ठीक मिली। यहां 138 के सापेक्ष 88 बच्चे अलग अलग कक्षाओं में पढ़ते हुए दिखे। मगर दो शिक्षिकाएं नदारद रहीं। पता चला कि पढ़ाने के लिए छह लोग हैं। प्राथमिक विद्यालय मुड़िला में प्रधानाध्यापिका ही गायब मिली। 108 के सापेक्ष 25 बच्चों की उपस्थिति ने भी सवाल खड़े कर दिए।