निरीक्षण पर खर्च 2.85 लाख और गुणवत्ता जीरो
रायबरेली : परिषदीय स्कूलों की शैक्षिक गुणवत्ता को सुधारने के लिए वर्ष 2015-16 में तकरीबन 2.85 लाख का रुपए खर्च हो गया, लेकिन स्कूलों की शैक्षिक गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं आया। ग्रामीण क्षेत्रों से ज्यादा नगर क्षेत्र के स्कूलों की हालत खराब है। यहां छात्रों की संख्या बेहद कम और शैक्षिक स्तर निम्न है। जिसकी पुष्टि पूर्व में निरीक्षण के दौरान हुई थी।
परियोजना द्वारा बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा संचालित होने वाले परिषदीय स्कूलों के लिए निरीक्षण व ब्लॉक संसाधन केंद्रों के लिए तीस हजार रुपए की धनराशि भेजी जाती है। ब्लॉकों में तैनात शिक्षाधिकारी उक्त धनराशि का बिल निरीक्षण और मी¨टग खर्च पर दिखाकर बजट का घाल-मेल कर देते है। लेकिन जिस उद्देश्य से बजट दिया जाता है वह पूरा नहीं होता। बीएसए कार्यालय आने वाले शिक्षाधिकारियों की रिपोर्ट स्वयं बताती है कि किसी ने माह में 15 तो किसी ने 18 स्कूलों का निरीक्षण किया। इससे अंदाजा लग सकता है कि शासन से मिलने वाली निरीक्षण राशि स्कूल के बजाय किसी अन्य कार्य पर खर्च हो रही है। वर्ष 2015-16 में 15 हजार के हिसाब से 19 ब्लॉकों में निरीक्षण के नाम पर 2.85 लाख रुपए खर्च हुए, लेकिन शैक्षिक गुणवत्ता एक या दो स्कूलों को छोड़कर हर जगह खराब मिली। जबकि वर्ष के अंत में होने वाले आडिट में बिल बाउचर में सब कुछ 'ओके' पाया जाता है। इन स्कूलों में निरीक्षण करने पहुंचे खंड शिक्षाधिकारियों को शैक्षिक स्तर बेहद कम मिला था। वहीं नगर के कुछ स्कूलों का बुरा हाल था। निरीक्षण हुए स्कूलों के बच्चें शुद्ध ¨हदी तक नहीं पढ़ पा रहे थे। इससे अंदाजा लग सकता है कि परिषदीय स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था का क्या हाल है।
एडी बेसिक महेंद्र ¨सह राणा ने बताया कि शैक्षिक स्तर सुधारने को सभी प्रयास होंगे। वहीं ब्लॉकों में तैनात शिक्षाधिकारियों द्वारा लापरवाही बरती जा रही है तो उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई कर दंडित किया जाएगा।