सरकारी स्कूलों पर सरकार को ही भरोसा नहीं, बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेजने की तैयारी
आजादी के 70वें साल में भी भारत में स्कूली शिक्षा को पटरी पर नहीं लाया जा सका है
लखनऊ। भारत में एक लाख से अधिक स्कूल सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं. प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा के बारे में संसद में पेश रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तरप्रदेश की हालत सबसे बुरी है।
ये रिपोर्ट भारत में स्कूली शिक्षा की काफी बदहाल तस्वीर पेश करती है. अगर आजादी के 70वें साल में भी भारत में स्कूली शिक्षा को पटरी पर नहीं लाया जा सका है तो ये एक बेहद शोचनीय स्थिति है.
अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि एक अकेला शिक्षक भला पूरे स्कूल को कैसे चलाएगा. जब वो किसी एक कक्षा को पढ़ाता होगा तो बाकी कक्षाओं में क्या होता होगा या कि पहली से लेकर आठवीं तक सभी बच्चे किस तरह एक ही साथ पढ़ाए जाते होंगे. ऐसे में अध्यापक कितनी जिम्मेदारी से पढ़ा पाता होगा और छात्रों की भी क्या प्रेरणा रह जाती होगी और वो क्या पढते-समझते होंगे.
हाल ही में आयी खबर के अनुसार सरकार ने गरीब बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने का इंतज़ाम करने का फैसला किया है। योजना के अंतर्गत गरीब बच्चे प्राइवेट स्कूल में शिक्षा ग्रहण करेंगे, बच्चों की फीस, किताबें आदि सरकार देगी। विशेषज्ञों की मानें तो यह कदम सरकारी टीचरों के निकम्मेपन की वजह से उठाया गया है, उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले वक़्त में सरकारी टीचर्स पर गाज़ भी गिर सकती है।