रामपुर : भ्रष्टाचार की दलदल में धंसा बेसिक शिक्षा विभाग, बाबुओं से लेकर खंड शिक्षाधिकारी तक होते जा रहे मालामाल, तबादलों और अटैचमेंट के समय शिक्षकों से होती है खूब वसूली, शिक्षक और चपरासी कर रहे विद्यालयों में निरीक्षण
रामपुर: मोटी कमाई के चक्कर में खंड शिक्षाधिकारी शिक्षकों और चपरासियों से स्कूलों का निरीक्षण करा रहे हैं। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने इसका विरोध किया है। संघ के पदाधिकारियों ने जिलाधिकारी से मुलाकात की और ज्ञापन सौंपा। इस दौरान जिलाध्यक्ष कैलाश बाबू ने कहा कि वर्तमान में चमरौआ ब्लॉक में शिक्षकों से मोटी रकम वसूलने और उत्पीड़न करने के लिए विद्यालयों का निरीक्षण शिक्षकों और चपरासियों से कराया जा रहा है। जबकि, विद्यालयों का निरीक्षण खंड शिक्षाधिकारी अथवा इससे उच्च स्तर का अधिकारी ही कर सकता है। कहा कि चमरौआ ब्लॉक में 568 शिक्षकों में से 463 शिक्षिकाएं हैं। खंड शिक्षाधिकारी ने 12 पुरुष शिक्षक और कुछ चपरासियों को निरीक्षण का अधिकार सौंप रखा है। यह गलत है। इसमें भी महिला शिक्षिकाओं के संबंध में शासन के निर्देश हैं कि स्कूल खुलने के 30 मिनट बाद और स्कूल बंद होने से 20 मिनट पहले निरीक्षण किया जाए। किन्तु, पिछले चमरौआ के खंड शिक्षाधिकारी ने पौने आठ बजे से लेकर सवा आठ बजे के भीतर ही स्कूल चेक करा दिए। इससे शिक्षकों में भय है। उन्होंने अवैध निरीक्षण और शिक्षकों से हो रही अवैध वसूली को रोकने की मांग की है। जिला संरक्षक शकुन्तला लोधी, जिला मंत्री आनंद प्रकाश गुप्ता, हरिराम दिवाकर, सईदुज्जफर रहमानी, छत्रपाल सिंह यादव, रवेन्द्र गंगवार, अब्दुल अलीम खां, देवेन्द्र सिंह, रीता सक्सेना, जफर बेग, दिलशाद वारसी, मोहम्मद खालिद खां, मनोज कुमार आदि उपस्थित रहे।
जागरण संवाददाता, रामपुर : बेसिक शिक्षा विभाग भ्रष्टाचार के दलदल में धंस चुका है। यहां बाबुओं से लेकर खंड शिक्षाधिकारी तक मालामाल होते जा रहे हैं। तबादलों और अटैचमेंट के समय तो इनकी चांदी हो जाती है। शिक्षकों से मनमाने ढंग से वसूली की जाती है। रिलीव करने तक के लिए शिक्षकों से हजारों रुपये ऐंठ लिए जाते हैं। हालांकि, रिश्वतखोरी के कई मामलों में कार्रवाई भी हुई है, लेकिन इसके बाद भी हालात नहीं सुधर रहे। अब जिलाधिकारी अमित किशोर ने एबीआरसी को गिरफ्तार कराया है तो विभाग में खलबली मच गई है। शुक्रवार को भले ही रिश्वत के आरोप में बेसिक शिक्षा विभाग का एबीआरसी गिरफ्तार हुआ हो, लेकिन हकीकत में यहां भ्रष्ट अफसरों और कर्मचारियों का पूरा नेटवर्क है। फिर चाहें बात खंड शिक्षाधिकारियों की हो या फिर जिला बेसिक शिक्षाधिकारी कार्यालय की। भ्रष्टाचार का आलम यह है कि यहां रिश्वत के बिना किसी का काम नहीं होता। स्कूलों की चेकिंग से लेकर, विभागीय कामकाज तक के लिए शिक्षकों से मोटी रकम वसूली जाती है। यही नहीं तबादलों और अटैचमेंट के समय से अफसरों और बाबुओं की चांदी हो जाती है। शिक्षकों से अटैचमेंट के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती है। लिहाजा, बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों से लेकर बाबू तक करोड़पति हो गए हैं। इनमें कई तो ऐसे हैं, जिनकी बेनामी संपत्ति का कोई हिसाब ही नहीं है। सियासी रसूख के चलते रिश्तेदारों के नाम पर खरीदी गई अकूत संपत्ति के मालिक इन भ्रष्ट अफसरों का कोई कुछ बिगाड़ भी नहीं पाता। बेसिक शिक्षा विभाग के बाबुओं की संपत्ति की जांच करा ली जाए तो सच्चाई सबके सामने आ जाए।