सुमेरपुर ब्लाक को भूल ही गए बीएसए
भगवंतनगर, संवाद सूत्र : जनपद मुख्यालय से साठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित सुमेरपुर विकास खंड में परिषदीय शिक्षा दम तोड़ती जा रही है। बीआरसी कार्यालय की लापरवाही के चलते यहां कुछेक विद्यालयों को छोड़ दिया जाए तो सभी स्कूलों में शैक्षिक गुणवत्ता के साथ शासन की विभिन्न महत्वाकांक्षी योजनाएं भी रामभरोसे ही संचालित हो रहीं हैं। क्षेत्र के बुद्धिजीवियों ने बीएसए को सुमेरपुर ब्लाक के भी जिले में ही होने की याद दिलाते हुए कभी औचक निरीक्षण करने का न्यौता दिया है।
गरीबों के स्कूल के नाम से प्रसिद्ध हो चुके परिषदीय स्कूलों का ब्लाक क्षेत्र में बुरा हाल है। लंबे समय से जिला स्तर के अधिकारियों द्वारा औचक निरीक्षण न किए जाने और बीआरसी कार्यालय की मिली-भगत के चलते शिक्षकों की मनमानी चरम पर है। स्थिति यह है कि क्षेत्र के पचास फीसदी स्कूल वर्तमान समय में ऐसे हैं जिनमें एक दहाई से भी कम छात्र स्कूलों तक आते हैं। इनमें से अधिकतर स्कूलों में या तो एमडीएम बनता ही नहीं है या फिर बनता भी है तो सिर्फ खिचड़ी। शैक्षिक गुणवत्ता के मामले में भी इन स्कूलों की स्थिति बेहद खराब है। बीआरसी कार्यालय में तैनात खंड शिक्षाधिकारी द्वारा क्षेत्र की पूरी व्यवस्था कुछ शिक्षकों पर छोड़ दी गई है जो कि ब्लाक में सारे नियमों को दर किनारे कर अपने नियम चला रहे हैं। क्षेत्र के बुद्धिजीवी नरेंद्र ¨सह, शिवनाथ ¨सह, अमित, मनोज समेत अन्य लोगों ने बताया कि मुख्यालय पर काफी समय बाद गैर पंजीकृत स्कूलों को बंद करने के लिए कार्रवाई की जा रही है, लेकिन अभी तक ब्लाक क्षेत्र में ऐसा अभियान नहीं चलाया जा सका है।
कस्बे समेत क्षेत्र में दर्जनों ऐसे स्कूलों का संचालन किया जा रहा है जिनके पास इमारत तक नहीं है। कहीं पर दुकानों से स्कूल संचालित किया जा रहा है तो कहीं पर टीनशेड और पेड़ों के नीचे बैठाकर शिक्षण कार्य किया जा रहा है। लोगों का कहना है कि विभागीय अधिकारी यदि शैक्षिक गुणवत्ता ठीक करने की योजना पर कार्य करें तो स्कूलों में बच्चों की कमी शायद न रहे। बुद्धिजीवियों ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को सुमेरपुर ब्लाक के भी जनपद में ही होने की जानकारी देते हुए कभी औचक निरीक्षण कर अपने विभाग की हकीकत परखने का न्यौता दिया है।