'कमीशन के खेल' ने खोखली कर दी स्कूलों की नींव
जागरण संवाददाता, आगरा: केस-1 पूर्व माध्यमिक विद्यालय भड़भूजा पुरा सैंया का भवन निर्माण के कुछ साल
जागरण संवाददाता, आगरा:
केस-1 पूर्व माध्यमिक विद्यालय भड़भूजा पुरा सैंया का भवन निर्माण के कुछ साल में ही जर्जर हो गया। जांच में गुणवत्ता खराब मिली। कार्रवाई में निर्माण प्रभारी को निलंबित कर दिया गया।
केस-2 पूर्व माध्यमिक विद्यालय सदरवन बिचपुरी का निर्माण करीब तीन साल पहले हुआ। निर्माण के बाद ही दीवारों में दरार आ गई। लेंटर भी चटक गया। जांच में निर्माण में अनियमितता सामने आई। निर्माण प्रभारी निलंबित कर दी गई।
भ्रष्टाचार की नींव पर खडे़ सरकारी विद्यालय के निर्माण में कमीशन का खेल है। एक भवन को बनाने की लागत भले ही लाखों में आती हो, लेकिन हकीकत में बजट की 60 फीसद ही धनराशि ही निर्माण में लगाई जाती है। बाकी की रकम का बंदरबांट हो जाता है। यही कारण है कि गुणवत्ता को नजरअंदाज कर बने विद्यालय बच्चों पर मौत बनकर गिरते हैं।
पिनाहट के मंसुखपुरा में गिरी उच्च प्राथमिक विद्यालय की दीवार में एक छात्रा की मौत ने निर्माण में भ्रष्टाचार की कलई खोल दी है। भूकंपरोधी भवन के नाम पर गुणवत्ता रहित भवन को कमीशन लेकर हर स्तर पर पास कर दिया जाता है। शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त हुए एक शिक्षक ने विभाग भवन निर्माण में कमीशन के खेल के बारे में बताया है। उन्होंने बताया कि भवन निर्माण के लिए आवंटित धनराशि का 60 फीसद ही निर्माण प्रभारी तक पहुंच पाता है। इसमें सबसे पहले सर्व शिक्षा अभियान के लेखा कार्यालय का हिस्सा होता है। लेखा विभाग के बाद संबंधित ब्लॉक के अधिकारी और फिर ग्राम प्रधान का नंबर आता है। अगर ग्राम प्रधान को इस खेल में शामिल न किया जाए तो वो पूरा खेल बिगाड़ देते हैं। मानकों को ताक पर रखने वाले निर्माण की शिकायत प्रधान न करे इसलिए उन्हें भी हिस्सेदार बना लिया जाता है। इसके बाद बाकी की कसर निर्माण प्रभारी द्वारा पूरी की जाती है। उनके द्वारा गुणवत्ता को ताक पर रखकर अपनी जेब भरी जाती हैं।
अपने शिक्षक को निर्माण का जिम्मा
सूत्रों के मुताबिक बजट का चेक सीधे निर्माण प्रभारी के नाम से जारी होता है। ऐसे में उससे सभी हिस्सेदार अपना कमीशन नगद ले लेते हैं। बहुत से शिक्षक मानकों के तहत भवन निर्माण कराने की बात कहकर कमीशन देने से मना कर देते हैं, इसलिए ऐसे शिक्षकों की जगह खंड शिक्षाधिकारी द्वारा अपने सेटिंग वाले शिक्षकों को काम देते हैं, जिससे उनका कमीशन उन्हें पहले ही मिल जाता है।
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शिक्षकों पर डाला जाता है दबाव
प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष राजेंद्र सिंह राठौर ने बताया कि विद्यालय निर्माण में अधिकारियों द्वारा कमीशन के लिए शिक्षकों पर दबाव बनाया जाता है। जिस कारण गुणवत्ता प्रभावित होती है। जब कोई हादसा होता है तो कमीशन लेने वाले अधिकारियों को छोड़ केवल शिक्षक पर कार्रवाई की जाती है। इसलिए निर्माण का कार्य शिक्षकों से हटाया जाए।
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बनते ही गिर गया अतिरिक्त कक्ष
निर्माण में कमीशन का खेल की कलई पिछले दिनों खंदौली के सराय दयारूपा विद्यालय का अतिरिक्त कक्ष करीब एक साल पहले बना था, लेकिन कुछ दिन पहले यह बरसात में गिर गया।
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नहीं होते भूकंपरोधी
मानकों के तहत सभी विद्यालयों का निर्माण भूकंपरोधी तकनीक से किया जाना चाहिए, लेकिन जिले में 90 फीसद विद्यालयों में भूकंपरोधी तकनीक नहीं मिलेगी। ये विद्यालय भूंकप तो छोडि़ए तेज बरसात में गिरने लगते हैं।
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वर्जन
जर्जर भवनों में गुणवत्ता की जांच कराई जाएगी। अगर विद्यालय मानकों के अनुसार नहीं होंगे तो दोषियों पर कार्रवाई होगी।
गिरजेश चौधरी, एडी बेसिक आगरा मंडल
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ये है बजट की धनराशि
प्राइमरी विद्यालय भवन- 3.87 लाख रुपये
रसोई कक्ष- 78500 रुपये
शौचालय - 24000 रुपये
विद्युत फिटिंग - 11810 रुपये
कुल- 6.41 लाख रुपये
उच्च प्राथमिक विद्यालय
भवन निर्माण- 7.49 रुपये
रसोई निर्माण- 78 हजार रुपये
शौचालय - 24 हजार रुपये
विद्युत फिटिंग - 17688 रुपये
कुल - 8.69 लाख रुपये