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लखनऊ : किताबें दे नहीं पाए, अब बटेंगे बस्ते, आरटीई के तहत अब तक सभी बच्चों को नहीं मिल सके हैं एडमिशन, सरकार की मंशा पर भारी पड़ रही शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही

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लखनऊ : किताबें दे नहीं पाए, अब बटेंगे बस्ते, आरटीई के तहत अब तक सभी बच्चों को नहीं मिल सके हैं एडमिशन, सरकार की मंशा पर भारी पड़ रही शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही

लखनऊ । गरीब बच्चों को अच्छी शिक्षा मुहैया करवाने की सरकार की कोशिशों पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही पानी फेर रही है। एक तरफ सरकार ने सभी बच्चों को बस्ते बांटने का ऐलान कर दिया है लेकिन महकमे के अधिकारी अब तक इन बच्चों को किताबें तक नहीं बांट पाए हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि बिना किताबों के ये बच्चे बस्तों का क्या करेंगे/ इससे पहले सरकार ने यूनिफॉर्म के लिए भी पैसा दिया था, लेकिन उसका हश्र भी किताबों जैसा ही है। ऐसे में आशंका है कि लापरवाह अधिकारियों की सुस्ती सरकार की योजना पर फिर भारी न पड़ जाए।

खत्म हो गए हाफ ईयरली एग्जाम

स्कूलों में शैक्षिक सत्र अप्रैल से शुरू हुआ था। अब लगभग सभी निजी व सरकारी स्कूलों में हाफ ईयरली एग्जाम हो चुके हैं। जहां एग्जाम चल रहे हैं, वहां भी इस हफ्ते परीक्षा पूरी हो जाएंगी। ऐसे में स्टूडेंट्स की परीक्षाएं बिना किताबों के ही निकल गईं।

नहीं मिल रहीं सभी किताबें

शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक स्कूलों में कक्षा 1 की किताबें दी जा चुकी हैं, जबकि अन्य कक्षाओं की किताबें भी दी जा रही हैं। हकीकत यह है कि पूरी किताबें कहीं नहीं मिल रही हैं। बच्चों को सिर्फ मुख्य विषयों हिंदी, गणित और विज्ञान की ही किताबें मुहैया करवाई जा रही हैं। बाकी विषयों की किताबों का अता-पता नहीं है। इससे बच्चें परेशान हैं।

न तो हुए आरटीई के एडमिशन, न कार्रवाई

शहर में राइट टू एजुकेशन (आरटीई) के तहत अब तक सभी बच्चों को एडमिशन नहीं मिल सके हैं। सिटी मॉन्टेसरी स्कूल में 58, नवयुग रेडियंस में 12 और सेंट मेरी स्कूल चिनहट में 5 बच्चों का एडमिशन होना है, लेकिन इन स्कूलों ने एडमिशन देने से मना कर दिया है। डीएम ने स्कूलों की एनओसी रद करने का फैसला लिया था। बीएसए की रिपोर्ट के आधार पर जेडी को कार्रवाई के लिए लिखा भी गया था। लेकिन दस दिन बीतने के बाद भी अब तक स्कूलों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। यही कारण है कि पहले सिर्फ सीएमएस और नवयुग ने ही दाखिला नहीं दिया था अब सेंट मेरी ने भी दाखिला देने से मना कर दिया है।

🔴 10 प्रतिशत स्टूडेंट्स को ही मिलीं हैं किताबें

🔵 1.5 से दो लाख स्टूडेंट्स हैं लखनऊ में

🌕 1करोड़ 95 लाख स्टूडेंट्स को किताबें दी जानी हैं प्रदेश में

"शासन जैसे-जैसे किताबें दे रहा है, वैसे-वैसे हम उसे वितरित करवा रहे हैं। आरटीई में जिनके एडमिशन पेंडिंग हैं, उन अभिभावकों के पास विकल्प है कि वे दूसरे स्कूल में एडमिशन करवा लें। जो स्कूल एडमिशन नहीं ले रहे हैं, अब उन पर कार्रवाई के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
- प्रवीण मणि त्रिपाठी, बीएसए

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