एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग
की समस्त सूचनाएं एक साथ

"BSN" प्राइमरी का मास्टर । Primary Ka Master. Blogger द्वारा संचालित.

जनपदवार खबरें पढ़ें

जनपदवार खबरें महराजगंज लखनऊ इलाहाबाद प्रयागराज गोरखपुर उत्तर प्रदेश फतेहपुर सिद्धार्थनगर गोण्डा बदायूं कुशीनगर सीतापुर बलरामपुर संतकबीरनगर देवरिया बस्ती रायबरेली बाराबंकी फर्रुखाबाद वाराणसी हरदोई उन्नाव सुल्तानपुर पीलीभीत अमेठी अम्बेडकरनगर सोनभद्र बलिया हाथरस सहारनपुर बहराइच श्रावस्ती मुरादाबाद कानपुर अमरोहा जौनपुर लखीमपुर खीरी मथुरा फिरोजाबाद रामपुर गाजीपुर बिजनौर बागपत शाहजहांपुर बांदा प्रतापगढ़ मिर्जापुर जालौन चित्रकूट कासगंज ललितपुर मुजफ्फरनगर अयोध्या चंदौली गाजियाबाद हमीरपुर महोबा झांसी अलीगढ़ गौतमबुद्धनगर संभल हापुड़ पडरौना देवीपाटन फरीदाबाद बुलंदशहर

Search Your City

लखनऊ : शिक्षकों से बंद कराए जाएं गैर शैक्षणिक काम, प्राथमिक शिक्षा की खराब स्थिति के लिए कुछ हद तक नीतियां और व्यवस्था दोषी, कहीं शिक्षक नहीं तो कहीं है शिक्षकों की फौज

1 comments

लखनऊ : शिक्षकों से बंद कराए जाएं गैर शैक्षणिक काम, प्राथमिक शिक्षा की खराब स्थिति के लिए कुछ हद तक नीतियां और व्यवस्था दोषी, कहीं शिक्षक नहीं तो कहीं है शिक्षकों की फौज

लखनऊ। राष्ट्रीय अध्यापक पुरस्कार-2015 में राजधानी के दो शिक्षकों ने भी चयनित होकर शहर का मान बढ़ाया है। इनमें पूर्व माध्यमिक विद्यालय रायपुर चिनहट के हेड मास्टर फजील अहमद खान और राजकीय बालिका इंटर कॉलेज सरोसा-भरोसा की अंग्रेजी की शिक्षिका वंदना तिवारी शामिल हैं। शनिवार को जैसे ही शिक्षक व उनके परिजनों को राष्ट्रीय पुरस्कार में चयनित होने की खबर मिली, बधाईयों का तांता लग गया।शुभचिंतकों ने उन्हें फोन पर और घर पहुंचकर बधाई दी।

राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयनित इन शिक्षकों का मानना है कि प्राथमिक शिक्षा की खराब स्थिति के लिए कुछ हद तक नीतियां और व्यवस्था दोषी है। खास कर शिक्षकों को पढ़ाई से हटा कर दूसरे कार्यों में लगाना और शिक्षकों की कमी इसकी प्रमुख वजह है।

मेरा मानना है कि आज की प्राथमिक शिक्षा में जो भी कमी है, उसकी बड़ी वजह शिक्षकों को शिक्षा से हटाकर दूसरे कार्यों में लगाना है। साथ ही कहीं एक भी शिक्षक नहीं तो कहीं शिक्षकों की फौज लगी है। इस व्यवस्था में सुधार की जरूरत है। मैंने भी सरकारी स्कूल से पढ़ाई की है। उस समय और आज में बहुत अंतर है। 16 जनवरी 1989 को उच्च प्राथमिक विद्यालय यमखनवा बीकेटी से नौकरी शुरु करने के दौरान शिक्षा के स्तर में कई परिवर्तन देखने को मिले। पहले कम स्कूल थे, अब इसकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन बच्चे कम होते जा रहे। मेरा मानना है कि शिक्षकों की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। शिक्षकों को दूसरे कार्यों से हटाकर पढ़ाने का पूरा समय दिया जाए तो शिक्षा में काफी सुधार होगा।

1 टिप्पणी:

  1. 📌 लखनऊ : शिक्षकों से बंद कराए जाएं गैर शैक्षणिक काम, प्राथमिक शिक्षा की खराब स्थिति के लिए कुछ हद तक नीतियां और व्यवस्था दोषी, कहीं शिक्षक नहीं तो कहीं है शिक्षकों की फौज
    👉 http://www.primarykamaster.net/2016/08/blog-post_475.html

    जवाब देंहटाएं

महत्वपूर्ण सूचना...


बेसिक शिक्षा परिषद के शासनादेश, सूचनाएँ, आदेश निर्देश तथा सभी समाचार एक साथ एक जगह...
सादर नमस्कार साथियों, सभी पाठकगण ध्यान दें इस ब्लॉग साईट पर मौजूद समस्त सामग्री Google Search, सोशल नेटवर्किंग साइट्स (व्हा्ट्सऐप, टेलीग्राम एवं फेसबुक) से भी लिया गया है। किसी भी खबर की पुष्टि के लिए आप स्वयं अपने मत का उपयोग करते हुए खबर की पुष्टि करें, उसकी पुरी जिम्मेदारी आपकी होगी। इस ब्लाग पर सम्बन्धित सामग्री की किसी भी ख़बर एवं जानकारी के तथ्य में किसी भी तरह की गड़बड़ी एवं समस्या पाए जाने पर ब्लाग एडमिन /लेखक कहीं से भी दोषी अथवा जिम्मेदार नहीं होंगे, सादर धन्यवाद।