लखनऊ : शिक्षकों से बंद कराए जाएं गैर शैक्षणिक काम, प्राथमिक शिक्षा की खराब स्थिति के लिए कुछ हद तक नीतियां और व्यवस्था दोषी, कहीं शिक्षक नहीं तो कहीं है शिक्षकों की फौज
लखनऊ। राष्ट्रीय अध्यापक पुरस्कार-2015 में राजधानी के दो शिक्षकों ने भी चयनित होकर शहर का मान बढ़ाया है। इनमें पूर्व माध्यमिक विद्यालय रायपुर चिनहट के हेड मास्टर फजील अहमद खान और राजकीय बालिका इंटर कॉलेज सरोसा-भरोसा की अंग्रेजी की शिक्षिका वंदना तिवारी शामिल हैं। शनिवार को जैसे ही शिक्षक व उनके परिजनों को राष्ट्रीय पुरस्कार में चयनित होने की खबर मिली, बधाईयों का तांता लग गया।शुभचिंतकों ने उन्हें फोन पर और घर पहुंचकर बधाई दी।
राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयनित इन शिक्षकों का मानना है कि प्राथमिक शिक्षा की खराब स्थिति के लिए कुछ हद तक नीतियां और व्यवस्था दोषी है। खास कर शिक्षकों को पढ़ाई से हटा कर दूसरे कार्यों में लगाना और शिक्षकों की कमी इसकी प्रमुख वजह है।
मेरा मानना है कि आज की प्राथमिक शिक्षा में जो भी कमी है, उसकी बड़ी वजह शिक्षकों को शिक्षा से हटाकर दूसरे कार्यों में लगाना है। साथ ही कहीं एक भी शिक्षक नहीं तो कहीं शिक्षकों की फौज लगी है। इस व्यवस्था में सुधार की जरूरत है। मैंने भी सरकारी स्कूल से पढ़ाई की है। उस समय और आज में बहुत अंतर है। 16 जनवरी 1989 को उच्च प्राथमिक विद्यालय यमखनवा बीकेटी से नौकरी शुरु करने के दौरान शिक्षा के स्तर में कई परिवर्तन देखने को मिले। पहले कम स्कूल थे, अब इसकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन बच्चे कम होते जा रहे। मेरा मानना है कि शिक्षकों की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। शिक्षकों को दूसरे कार्यों से हटाकर पढ़ाने का पूरा समय दिया जाए तो शिक्षा में काफी सुधार होगा।
📌 लखनऊ : शिक्षकों से बंद कराए जाएं गैर शैक्षणिक काम, प्राथमिक शिक्षा की खराब स्थिति के लिए कुछ हद तक नीतियां और व्यवस्था दोषी, कहीं शिक्षक नहीं तो कहीं है शिक्षकों की फौज
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