उधार की किताब से नौनिहालों की पढ़ाई
महराजगंज: सरकार परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों की खस्ताहाल को सुधारने के लिए जितने भ
महराजगंज: सरकार परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों की खस्ताहाल को सुधारने के लिए जितने भी अभियान चला ले। जितने भी जागरूकता रैलियां निकाले। शिक्षा अभियान के नाम पर करोड़ों रुपया पानी की तरह बहा दे, लेकिन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों के चलते सरकार की मंशा पर पानी फिर जा रहा है। बच्चों की शिक्षा को लेकर बातें तो आसमान की हो रही हैं पर जमीनी हकीकत पर ही ध्यान नहीं दिया जा रहा। परिषदीय विद्यालयों को निजी विद्यालयों की तर्ज पर शैक्षिक सत्र तो अप्रैल से शुरू कर दिया गया पर बच्चों की पढ़ाई के प्रति किसी का ध्यान नहीं है। नया सत्र बीते करीब ढ़ाई महीना हो गया, लेकिन नौनिहालों तक किताबें नहीं पहुंच पायी। बच्चों के बस्ते खाली हैं। फटी पुरानी किताबों से बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं। शिक्षा विभाग उधार की किताबों से किसी तरह काम चला रहा है। परिषदीय विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लेकर शासन गंभीर है। स्कूलों में हर संसाधन मुहैया कराने की बात कही जा रही है। पूर्व में जुलाई से शैक्षिक सत्र शुरू होता था लेकिन अब निजी विद्यालयों की तर्ज पर एक अप्रैल से ही शैक्षिक सत्र शुरू कर दिया गया है। शैक्षिक सत्र की शुरुआत तो कर दी गई पर व्यवस्था के नाम पर कुछ नहीं किया गया। शासन का फरमान था कि विद्यालय खुलते ही बच्चों के हाथों तक पाठ्य पुस्तकें पहुंच जाएं। जिले के 2124 प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा एक से आठ तक के दो लाख 85 हजार 877 बच्चों को निश्शुल्क पाठ्य पुस्तकें दी जानी हैं। उधारी की किताबों से पढ़ाई शुरू करा जुलाई तक पुस्तक वितरण का आदेश दिया गया और फिर शासन का फरमान आया कि भाषा और गणित की पुस्तक का पांच अगस्त तक हर हाल में वितरण हो जाए लेकिन बच्चों तक किताबें पहुंचना तो दूर अभी तक जिला मुख्यालय पर ही नहीं पहुंच पाई हैं।
मुख्यालय तक किताबें पहुंचने के बाद विद्यालयों तक पहुंचने में करीब एक सप्ताह लग जाता है, सरकारी विद्यालयों में भले अब तक किताबें नहीं आयीं हैं लेकिन निजी विद्यालयों में परीक्षा तिथि घोषित कर दी गई है। सरकारी स्कूलों में प्रथम सत्र की अर्ध वार्षिक परीक्षा अक्टूबर-नवम्बर में होना है। बच्चों के पास किताबें ही नहीं पहुंच पायी है। ऐसे में बच्चे परीक्षा में क्या लिखेंगे? इसका किसी के पास जवाब नहीं है।
प्राइवेट विद्यालयों की तर्ज पर परिषदीय विद्यालयों में नया शिक्षा सत्र अप्रैल में ही शुरू हो गया। नया सत्र शुरू होने के ढ़ाई महीना बाद भी बच्चों तक नि:शुल्क किताबें नहीं पहुंची। बच्चे क्या पढ़ें ? उनके बस्ते खाली हैं। खाली बैग लेकर बच्चे स्कूल पहुँच रहे हैं। हालांकि इस बात से अभिभावकों में काफी रोष व्याप्त है। उनका कहना है कि सरकारी विद्यालयों में सुविधा के नाम पर सिर्फ छला जा रहा है। बच्चे सिर्फ खिचड़ी और दाल पीठा खाने विद्यालय जा रहे हैं। बच्चों के भविष्य के साथ मजाक किया जा रहा है।
जनपद महराजगंज में परिषदीय विद्यालयों की स्थिति
प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय 2124
सहायता प्राप्त विद्यालय 101
कस्तूरबा विद्यालय 13
मकतब/मदरसा 35