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इलाहबाद : आंकड़ों का खेल, पेंशन बढ़ोतरी का दावा फेल

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आंकड़ों का खेल, पेंशन बढ़ोतरी का दावा फेल

केंद्र सरकार ने सातवें वेतन आयोग के नाम पर कर्मचारियों और पेंशनरों को सिर्फ लॉलीपॉप दिया। कर्मचारियों, पेंशनरों को मिल रहे 125 फीसदी डीए की आड़ में सरकार दावा कर रही है कि पेंशन में 157 फीसदी का इजाफा हुआ है जबकि हकीकत इससे इतर है। पेंशन में वास्तविक रूप से महज 14.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। 

सरकार ने जो आंकड़े जारी किए हैं, उसके मुताबिक 3500 रुपये न्यूनतम पेंशन को बढ़ाकर नौ हजार रुपये कर दिया गया है। इसका मतलब सिर्फ इतना है कि अब नौ हजार रुपये से कम पेंशन नहीं मिलेगी लेकिन इसी आड़ में सरकार दावा कर रही है कि पेंशन में 157 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी गई है लेकिन हकीकत इससे उलट है। आल इंडिया ऑडिट एंड एकाउंट एसोसिएशन के पूर्व सहायक महासचिव हरिशंकर तिवारी और कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति के समन्वयक हनुमान प्रसाद श्रीवास्तव का कहना है कि पेंशनरों को 125 फीसदी डीए पहले से मिल रहा है।

सरकार डीए की रकम को भी बढ़ोतरी का हिस्सा मान रही है। जो रकम कर्मचारियों और पेंशनरों को पहले से मिल रही है, उसे बढ़ोतरी का हिस्सा नहीं माना जा सकता। सरकार आंकड़ों से खिलवाड़ कर अपने पक्ष में भ्रामक प्रचार कर रही है। हकीकत यह है कि वेतन और पेंशन में जितनी बढ़ोतरी छठवें वेतन आयोग में हुई थी, सातवें वेतन आयोग में उससे कम वृद्धि हुई है। ऐसे में तुलनात्मक रूप से कर्मचारियों और पेंशनरों को नुकसान हुआ है।

अगर किसी को न्यूनतम पेंशन 3500 रुपये मिल रही है तो उस पर 125 फीसदी डीए यानी 4375 रुपये अलग से मिल रहे हैं। यानी हर माह 7875 रुपये पेंशन मिल रही है। सातवें वेतन आयोग में न्यूनतम नौ हजार रुपये मिलेंगे। 125 फीसदी डीए को इसी में मर्ज कर दिया गया है। यानी पेंशन में कुल बढ़ोतरी 1125 रुपये की हुई, जो अब तक मिल रही 7875 रुपये पेंशन का 14.2 फीसदी है।

सिर्फ न्यूनतम पेंशन नहीं, हर ग्रेड में पेंशनरों को छठवें वेतन आयोग के मुकाबले सातवें वेतन आयोग में नुकसान हुआ है। उदाहरण के तौर पर किसी की पेंशन 10000 रुपये है तो 125 फीसदी डीए के साथ पेंशनरों को हर माह 22500 रुपये पेंशन मिल रही है। सरकार ने फिटमेंट फार्मूला 2.57 तय किया है। यानी सातवें वेतन आयोग में उसी पेंशनर को 25700 रुपये पेंशन मिलेगी। ऐसे में पेंशन में 3200 रुपये की बढ़ोतरी होगी, जो 14.2 फीसदी है जबकि सरकार डीए को बढ़ोतरी का हिस्सा मानकर इससे कई गुना अधिक बढ़ोतरी का दावा कर रही है।

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