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मेरठ : अध्यापको से पूरे वर्ष कराएँगे भोजन ,गैरशैक्षणिक कार्य्,और अन्य दूसरे विभागों के कार्य् और फिर ये इल्जाम आठवीं के बच्चे नहीं लिख सके गर्ल की स्पेलिंग, डीएम ताज्जुब में

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आठवीं के बच्चे नहीं लिख सके गर्ल की स्पेलिंग, डीएम ताज्जुब में

    

दौराला ब्लॉक के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय के बच्चे जिलाधिकारी जगतराज त्रिपाठी के एजुकेशन क्वालिटी चेक में फेल हो गए। हौसला पोषण योजना की शुरुआत के दौरान डीएम ने जब दौराला के उलखपुर गांव के स्कूल में आठवीं कक्षा के छात्रों का टेस्ट लिया तो अजीब नजारा देखने को मिला। बच्चे डीएम के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे सके। बच्चों द्वारा जवाब नहीं दे पाने पर शिक्षक-शिक्षिकाएं भी हक्का-बक्का रह गए और डीएम की ओर सहमी नजर से देखने लगे।

डीएम ने गांव उलखपुर के पूर्व माध्यमिक स्कूल में बच्चों से मुलाकात करके मास्टरजी से स्कूल के बारे में जानकारी की। उपस्थिति रजिस्टर देखकर पता चला कि क्लास आठवीं की है तो क्यों न बच्चों का टेस्ट हो जाए। डीएम सर ने भी देरी नहीं की। उन्होंने बारी-बारी से छात्र-छात्राओं से सवाल पूछने का सिलसिला शुरू किया। सवालों के जवाब नहीं मिलने पर स्कूल में थोड़ी देर के लिए सबके हाथ-पांव फूल गए।

डीएम ‘सर’ के प्रश्न
डीएम जगतराज त्रिपाठी ने आठवीं क्लास की छात्राओं से अग्रेंजी में गर्ल लिखने को बोला तो सभी ने गर्दन हिलाकर जवाब दिया ‘नहीं आता लिखना’। इसके बाद डीएम ने छात्रा को ब्लैकबोर्ड पर बुलाकर चार से 10 को भाग करने के लिए क। लेकिन छात्रा ने अलग अंदाज में भाग देकर डीएम सर को चौंका दिया। डीएम सर के दो सवालों के जवाब न देने के बाद भी उनके सवालों का सिलसिला जारी रहा। उन्होंने इसके बाद छात्र-छात्राओं से दशमलव 2 लिखने के लिए कहा, लेकिन यहां भी बच्चों की गर्दन नहीं में ही हिली। इतने सरल जवाबों का जवाब न देने के बाद डीएम सर ने वहां पढ़ा रहे शिक्षक-शिक्षिकाओं से इसका जवाब तलब किया। उन्होंने अध्यापकों से कड़ी नाराजगी जताते हुए बच्चों की शिक्षा में एक महीने के अंदर सुधार लाने के निर्देश दिए। 

शिक्षक बोले- घबरा गए बच्चे
डीएम सर ने आठवीं क्लास के छात्र-छात्राओं से सरल सवाल किए, लेकिन इन सवालों में भी वह उलझ गए। वहीं, स्कूल के शिक्षक-शिक्षिकाओं ने अपना बचाव करते हुए डीएम सर से बच्चों के घबरा जाने का बहाना बनाते हुए मामले को दबाने का प्रयास किया। रियल्टी चेक में कुछ ओर भी सवाल उठे। यहां तक कि स्कूल में अभी तक बच्चे पुरानी किताबों से ही पढ़ रहे हैं। नए सत्र में नई किताबें बच्चों को उपलब्ध नहीं हो सकी हैं। 

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