पहला काम पढ़ाई का, दूजा चुनावी कार्य कराने का
इलाहाबाद: अमुमन अभी तक यह होता आया है कि शिक्षकों को कहीं भी किसी भी कार्य में प्रशासन की ओर से ड्यूटी लगा दी जाती है। कभी जनगणना के कार्य में शिक्षकों का उपयोग किया जाता है तो कभी चुनावी कार्य में शिक्षक ड्यूटी देते है और इस कारण निश्चित ही विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित होती है।
परंतु अब हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को यह कहा है कि शिक्षकों का पहला कार्य शिक्षकीय कार्य करना है और उनकी दूसरी प्राथमिकता अन्य कार्य रहेंगे। हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा कि आयोग शिक्षकों से चुनाव संबंधी कार्यों से उस समय तक मुक्त रखे, जब कि बच्चों की पढ़ाई का कार्य होता है। कोर्ट ने आयोग को निर्देश जारी करते हुये कहा कि चुनाव संबंधी कार्य या तो अवकाशों के समय या फिर शिक्षण कार्य के बाद लगाई जा सकती है। ऐसा होने से बच्चों की पढ़ाई का कार्य प्रभावित नहीं होगा।
जनहित याचिका पर सुनवाई
मामले में यूपी प्राथमिक शिक्षक संघ की ओर से कोर्ट मंे जनहित याचिका दायर की गई थी। न्यायमूर्ति डीबी भोंसले और यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुये उपरोक्त आदेश पारित किया है। याचिका में यह तर्क दिया गया था कि शिक्षा के कानून के अनुसार बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने का समान अधिकार है परंतु यह तभी संभव हो सकता है जब शिक्षक नियमित रूप से अपने संबंधित शिक्षण संस्थान पहुंचकर बच्चों को अध्ययन कार्य कराये। लेकिन प्रशासन या शासन द्वारा कानून का पालन नहीं करते हुये अध्यापन कार्य के दौरान ही कहीं भी किसी भी रूप में शिक्षकों की ड्यूटी लगा दी जाती है।