मथुरा : बाबूओं के खिलाफ मौसम भी खराब, घूस लेते रंगे हाथों पकड़ा गया डीआईओएस कार्यालय का बाबू, विजिलेंस टीम व डीएम के प्रतिनिधि कर्मियों ने बाबू को 10 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगेहाथों पकड़ा
मथुरा, निज संवाददाता । मथुरा के सुरीर स्थित राष्ट्रीय इंटर कॉलेज की प्रबंध समिति के विवाद में घूस लेना डीआईओएस के बाबू का भारी पड़ गया। शिकायत मिलने पर बुधवार को विजिलेंस टीम व डीएम के प्रतिनिधि कर्मियों ने बाबू को 10 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगेहाथों पकड़ लिया। घटना पर कार्यालय में काफी देर तक हंगामे की स्थिति रही।
बुधवार को दोपहर में डीआईओएस कार्यालय में सब कुछ सामान्य था। तभी वहां सुरीर के राष्ट्रीय इंटर कॉलेज की प्रबंध समिति के सदस्य कांति कुमार पहुंचे व उन्होंने कार्यालय के वरिष्ठ लिपिक अशोक कुमार को 10,000 रुपये का लिफाफा सौंपा। अशोक कुमार ने चुपचाप यह रकम अपने पास रख ली। पैसे देकर जैसे ही कांति कुमार कार्यालय कक्ष से बाहर निकले, तभी आधा दर्जन लोग अंदर आए और बाबू अशोक कुमार को घूस लेने के इल्जाम में गिरफ्तार कर लिया।
विजिलेंस टीम ने बाबू के पास से फिलीथीनी पाउडर लगा लिफाफा व नोट बरामद कर लिए। विजिलेंस टीम की अचानक हुई कार्रवाई से डीआईओएस कार्यालय में अफरा-तफरी मच गई। विजिलेंस टीम बाबू को लेकर थाना कोतवाली पहुंची तथा पूछताछ की। कार्रवाई करने वाली टीम में विजिलेंस आगरा और अलीगढ़ मंडल के सीओ बलधारी सिंह व उनके सहयोगियों के साथ जिलाधिकारी मथुरा के प्रतिनिधि के तौर पर शरद शर्मा और रघुवीर प्रसाद शामिल थे। इस संबंध में विजिलेंस टीम के इंस्पेक्टर विनोद कुमार ने बाबू अशोक कुमार के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया है।
बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय इंटर कॉलेज सुरीर में प्रबंध समिति का विवाद चल रहा था। समिति के सदस्य कांति कुमार ने नई प्रबंध समिति में स्वयं के प्रबंधक चुने जाने का दावा करते हुए हाईकोर्ट में वाद दायर किया। हाईकोर्ट ने तत्कालीन डीआईओएस को 25 जून 2016 में अपने स्तर से मामले को निपटाने को कहा। डीआईओएस ने कांति कुमार का दावा निरस्त कर बताया कि पुरानी प्रबंध समिति ही वैध है, जबकि कांति कुमार की बनाई प्रबंध समिति फर्जी है। बाद में हाईकोर्ट ने 31 अगस्त को अपने पुराने ऑर्डर पर स्टे लगा दिया। अपने अनुकूल पत्र जारी कराने को कांति कुमार ने बाबू अशोक कुमार से संपर्क किया। अशोक कुमार ने सुविधा शुल्क की मांग की तो कांति कुमार ने 19 सितंबर को इसकी शिकायत आगरा विजिलेंस के एसपी से कर दी।
जीवन में यह कदम-कदम पर सच साबित होता है कि लालच बुरी बला होती है, लेकिन फिर भी लोग लालच में पड़ जाते हैं। अशोक कुमार के साथ भी यही हुआ। कांति कुमार ने पहले उन्हें पांच हजार रुपये दिए थे। लेकिन बाबू ने काम कराने के एवज में उससे 10,000 रुपये और मांगे। इसी लालच ने अशोक कुमार को फंसा दिया।
कॉलेज की प्रबंध समिति के अध्यक्ष सुशील शर्मा ने बताया कि कांति कुमार ने फर्जी चुनाव कराए, फर्जी हस्ताक्षर कराए, जबकि प्रबंध समिति पहले से ही काम कर रही थी। यह लोग कॉलेज की सम्पत्ति हड़पना चाहते हैं। बाबू को गलत फंसाया जा रहा है।
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