स्कूल में बिना बिजली 40 हजार बच्चे
जिले के 403 परिषदीय विद्यालयों में विद्युतीकरण का कार्य अधर में लटका है। इससे लगभग 40 हजार छात्र-छात्राओं को भीषण गर्मी में ही शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है।
केंद्र सरकार की ओर से परिषदीय विद्यालयों के विद्युतीकरण के लिए कार्ययोजना बनाई गई थी।
इसके लिए वर्ष 2013-14 में कुल 992 विद्यालयों का चयन किया गया था। योजना में किसी प्रकार की बाधा न उत्पन्न हो, इसके लिए शासन से विभाग को आवश्यक धन भी उपलब्ध करा दिया गया था। इसके साथ ही विद्युत कनेक्शन करने के लिए पावर कॉर्पोरेशन को प्रति विद्यालय ढाई हजार रुपये देने का भी फैसला लिया गया था।
विद्युतीकरण का कार्य प्रारंभ हुआ, तो इसमें शुरुआती दौर से ही शिक्षा विभाग व पावर कॉर्पोरेशन की तकरार सामने आने लगी। दरअसल जिन विद्यालयों से विद्युत खंभे दूर थे, उनमें कनेक्शन के लिए अधिक लागत आ रही थी। इस पर पावर कॉर्पोरेशन ने ढाई हजार रुपये के बजाए धन बढ़ाने की मांग की।
इसके लिए कई बार शासन से भी पत्राचार हुआ, लेकिन निस्तारण नहीं हो सका। नतीजा यह रहा कि अब तक 403 विद्यालयों का विद्युतीकरण नहीं हो सका। पावर कॉर्पोरेशन ने कनेक्शन के बाद 560 विद्यालयों का अगस्त 2014 में शिक्षा विभाग को 1 करोड़ 43 लाख 39 हजार रुपये का विद्युत बिल थमा दिया।
इस पर शिक्षा विभाग ने इसका सत्यापन कराया। वरिष्ठ लिपिक सीएन तिवारी ने बताया कि सत्यापन में बिल मात्र 17 लाख 80 हजार रुपये सामने आया। इसके लिए धन की मांग शासन को पत्र भेजकर की गई है।
अधिशाषी अभियंता मुकेश बाबू ने बताया कि बेसिक शिक्षा विभाग से नियमानुसार धन जमा करने को कहा गया है। सभी क्षेत्रों में विद्युतीकरण के लिए एक समान धन नहीं हो सकता है। कहीं कम व कहीं ज्यादा खंभे लगने हैं। इससे अलग अलग क्षेत्रों में विद्युतीकरण पर खर्च में काफी अंतर आ रहा है। विभागीय अधिकारियों से इसे ठीक करवाने के लिए कहा गया है।
बीएसए जे एन सिंह ने बताया कि जिन विद्यालयों में विद्युतीकरण नहीं हुआ है, वहां आवश्यक प्रक्रिया अपनाई जा रही है। जल्द ही वहां विद्युतीकरण करा दिया जाएगा। विद्युतीकरण वाले विद्यालयों को लेकर संबंधित ब्लॉकों के खंड शिक्षा अधिकारी से रिपोर्ट मंगवाई जा रही है कि उनके क्षेत्र के विद्यालयों में विद्युतीकरण की इस समय की स्थिति क्या है।
पंखे व बल्ब आदि क्रियाशील स्थिति में हैं या नहीं। इसके बाद वहां भी आवश्यक व्यवस्था कराई जाएगी।