महराजगंज : कमीशनखोरी के खेल में गुणवत्ता फेल, परिषदीय स्कूलों में ड्रेसवितरण वितरण का हाल
सत्ता की हनक में चूर हो शासन का फरमान
परिषदीय स्कूलों में ड्रेस वितरण का हाल
कमीशन का खेलः महज 130 रूपए में हो रही ड्रेस की सप्लाई
सत्ताधारी नेताओं के हितैषी बता धौस देते है सप्लायर
एक ड्रेस के लिए मिलता है दो सौ रूपए
छात्रों के नाप का ड्रेस सिलवा कर देना चाहता है शासन
हरिकेश चंद्र पाठक
लक्ष्मीपुर।शिक्षा अधिकार अधिनियम को और मजबूत बनाने की एक कड़ी में शासन द्वारा छात्रों को निःशुल्क किताब के साथ ही निःशुल्क यूनिफार्म दिया जाता है। जिसकी गुणवत्ता सुनिश्चित करने की नियत से शासन ने भले ही छात्रों के नाप का ड्रेस सिलवाकर वितरित करने का फरमान जारी कर रखा है। लेकिन फरमान जारी करने वालों को क्या पता कि सत्ता की हनक पर ही शासन के फरमान को चकनाचूर कर दिया जा रहा है।जिसका जिम्मेदार कोई और नहीं बल्कि सत्ताधारी पार्टी के कुछ नेता ही है। जिनकी धौस देकर जहां सप्लायर स्कूलों में जबरिया ड्रेस रखकर चले जा रहे है। वहीं उनका ड्रेस नहीं बांटने पर अधिकारियों से प्रताड़ित कराने की खुली धमकी भी दे रहे है। अफसोस की बात तो यह है कि इसकी जानकारी के बाद भी ब्लाक से लेकर जिला स्तर के सभी अधिकारी मूक दर्शक बने हुए है।
जनपद के लक्ष्मीपुर व नौतनवां ब्लाक में में आलम यह है कि प्राथमिक व जूनियर विद्यालयों में बच्चों को दिये जाने वाले ड्रेस में कमीशन बाजी का खेल जमकर खेला जा रहा है।यहां कुछ ड्रेस सप्लायर सत्ता पक्ष के दो नेताओं का धौस देकर अपना ड्रेस बंटवाने का दबाव स्कूलों पर बना रहे है। कोई अपने को वर्तमान विधायक कौशल किशोर सिंह उर्फ मुन्ना का हितैषी बताता है। तो कोई सपा नेता अमन का करीबी बता कर धौंस दे रहा है।फिलहाल वह किसी भी नेता का करीबी क्यों ना हो लेकिन शासन के मंशा पर पानी डालने का कार्य बखूबी कर रहा है। जिसका नतीजा है कि स्कूलों के प्रधानाध्यापक व एसएमसी अध्यक्ष तथा प्रधान सभी हलकान हो रहे है।जिसके चलते वह कोई भी निर्णय लेने से हिचकिचा रहे है।वहीं विभागीय अधिकारी भी सब कुछ जानने के बाद भी चुप्पी साधे हुए है।जबकि ड्रेस सप्लायर महज 130 रूपए में स्कूल - स्कूल जाकर सप्लाई कर रहे है।
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क्या है ड्रेस वितरण का मानक
शासन द्वारा परिषदीय स्कूलों के प्रत्येक छात्रों को एक जोड़ी यूनिफार्म देने के लिए दो सौ रूपए प्रति एक के अनुसार चार सौ रूपए दिया जाता है। जिसके लिए एसएमसी अध्यक्ष व प्रधानाध्यापक की मौजूदगी में कपड़ा खरीद के लिए टेंडर निकाले जाने के बाद कपड़े की गुणवत्ता के अनुसार कपड़ा खरीद कर छात्रों के नाप का ड्रेस सिलवाकर प्रत्येक छात्र को दो- दो ड्रेस देना होता है।जो कमीशन के खेल में सिला- सिलाया हुआ महज130रूपए में दिरा जा रहा है।
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इस बावत बीएसए जावेद आलम आजमी का कहना है कि ड्रेस वितरण में सप्लायरों द्वारा मनमानी करने की शिकायत रोज मिल रही है।यहां तक की एक सपा नेता ने तो फोन पर अध्यापको को धमकी देना शुरू कर दिया है। फिलहाल शासन के मंशानुसार ही गुणवत्ता युक्त ड्रेस दिया जायेगा।
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