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कागजों में सरकारी नीतियां ऐसी बनती हैं कि बेटियां आसमान छूले

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कागजों में सरकारी नीतियां ऐसी बनती हैं कि बेटियां आसमान छूले

विडंबना देखिए..कागजों में सरकारी नीतियां ऐसी बनती हैं कि बेटियां आसमान छू लें, लेकिन हकीकत में उन्हें फर्श पर बैठकर अपने सपने बुनने पड़ रहे हैं। 'बेटी पढ़ाओ' का सच किठौर के राजकीय कन्या इंटर कालेज (जीजीआइसी) में विलाप कर रहा है। सरकार के इरादे भले ही अर्श पर होते हैं, लेकिन बेटियां फर्श पर हैं। यहां फर्नीचर छोड़िए, पीने का साफ पानी भी मुहैया नहीं है। अराजक तत्वों ने शौचालय तोड़ दिया तो तब से वो बंद ही पड़ा है। चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की नियुक्ति भी आधे से कम है। जो हैं भी उन्हें बिना आए ही वेतन उपलब्ध है। यह उस कस्बे की तस्वीर है, जहां एक सांसद और प्रदेश के एक कैबिनेट मंत्री भी निवास करते हैं।

किठौर स्थित जीजीआइसी में सुविधाओं का टोटा है। यहां 10वीं, 11वीं व 12वीं की छात्राओं को छोड़कर अन्य छात्राओं के लिए फर्नीचर नहीं है। उन्हें फर्श पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है। कालेज परिसर में चार हैंडपंप हैं, लेकिन इनमें तीन खराब हैं। शौचालय भी क्षतिग्रस्त हो गया है और इस पर झाड़-झंखाड़ का पहरा रहता है। कालेज में लगी पानी की टंकी व एक भवन को अराजक तत्वों ने क्षतिग्रस्त कर दिया है। कई बार चोरियां हो चुकी हैं। पुलिस को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। चौकीदार तैनात है, लेकिन घटनाएं रुक नहीं रहीं। प्रिंसिपल रेनू सिंह ने बताया कि कालेज में नौ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की आवश्यकता है, लेकिन तैनाती मात्र चार की है। ये भी कभी-कभार कालेज में दिखते हैं। सफाईकर्मी है ही नहीं।

अभी नहीं कोई व्यवस्था

मैंने डीआइओएस से बात की थी। उन्होंने कहा कि अभी कोई व्यवस्था नहीं है। जैसे ही कोई व्यवस्था होगी, काम करा दिया जाएगा।

- आरिफ मंजूर, अध्यक्ष, अभिभावक संघ

मुझे इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। मेरे पास कोई जिम्मेदार व्यक्ति आएगा तो मैं कार्य कराने का प्रयास करूंगा।

- मुनकाद अली, सदस्य, राज्यसभा।



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