महराजगंज : होमवर्क के बोझ से बचपन बेहाल, विद्यालय से छुट्टी मिलते ही घर पहुंचकर होमवर्क में जुट जाने से बच्चों के साथ खेलने भर का वक्त नहीं बच पाता, बच्चों के चेहरे से उनकी खुशियां गायब हो गयी
जागरण संवाददाता, महराजगंज: निजी विद्यालयों द्वारा बच्चों को दिया जाने वाला होमवर्क से बच्चों का बचपन बोङिाल होता जा रहा है। इसके दबाव से बच्चों का मष्तिष्क भी बोङिाल हो जा रहा है। बच्चे होमवर्क के दबाव से खेलकूद में भी समय नहीं निकाल पा रहे हैं। इससे उनका शारीरिक तथा मानसिक विकास अवरुद्ध हो जा रहा है। बच्चों के चेहरे से उनकी खुशियां गायब हो गयी हैं। विद्यालय से छुट्टी मिलते ही घर पहुंचकर होमवर्क में जुट जाने से बच्चों के साथ खेलने भर का वक्त नहीं बच पाता। जागरण टीम ने आज प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले नौनिहालों के माता-पिता व शिक्षाविदों से बात की।
होमवर्क से मायूस रहती है बेटी
नगर पालिका परिषद महराजगंज के शास्त्री नगर की सीमा दुबे का कहना है कि हमारी बेटी शहर के एक प्रतिष्ठित स्कूल में पढ़ती है। विद्यालय में इतना होमवर्क दिया जाता है कि मेरी बेटी को खेलने-कूदने का भी समय नहीं मिल पाता है। स्कूल से वापस आने के बाद बिना कुछ खाये पीये होमवर्क पूरा करने में जुट जाती है। होमवर्क को लेकर हमेशा मायूस रहती है।
होमवर्क ने छीनी बच्चों की आजादी
नगर के लोहिया नगर निवासी राममोहन अग्रवाल का कहना है कि मेरा बेटा शहर के एक निजी विद्यालय में पढ़ता है। होमवर्क को लेकर वह हमेशा परेशान रहता है। सुबह स्कूल पहुंचना और वापस आकर होमवर्क में जुट जाना एक आदत सी बन गयी है। बिना होमवर्क किए वह कुछ खाता-पीता भी नहीं। होमवर्क के दबाव से शारीरिक रूप से कमजोर हो गया है। खेलने-कूदने भर का टाइम भी नहीं बचता। होमवर्क से बच्चे की आजादी पर पाबन्द लग गया है।
विद्यालय में ही दिए जाएं कार्य
शिक्षाविद् ऊषा उपाध्याय का कहना है कि होमवर्क से बच्चों के अंदर डर सा माहौल हो गया है। बच्चे पाठ्य पुस्तकों से दूरियां बना रहे हैं। विद्यालय के शिक्षकों को चाहिए कि कक्षाओं में ही बच्चों से टेस्ट ले लें। जिससे बच्चे को घर पर खाने और खेलने का पूरा समय मिल सके। होमवर्क अधिक मिलने से बच्चों के ऊपर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। होमवर्क के दबाव से बचपन दबता जा रहा है।
होमवर्क से गुम हो रही बच्चों की ख़ुशी
शिक्षाविद् हीरालाल का कहना है कि होमवर्क को खत्म कर देना चाहिए। विद्यालयों में पढ़ाई जाने वाली पाठ्य पुस्तकों से ही बच्चों को फुर्सत नही मिल पाती। ऐसे में बच्चे होमवर्क के दबाव से परेशान रहते हैं। एलकेजी में पढ़ने वाले बच्चों को भारी भरकम होमवर्क से लाद दिया जाता है। अधिक भार पड़ने से बच्चे हमेशा बीमार रहते हैं।