प्राथमिक शिक्षक की ट्रेनिंग करने आए इंजीनियर और आर्किटेक्ट
बेरोजगारी से जूझ रहे इंजीनियर अब प्राथमिक शिक्षक की ट्रेनिंग करने आए हैं। बीटीसी-15 सत्र में सिविल और मेकैनिकल जैसी ब्रांच से इंजीनियरिंग करने वाले टेक्नोक्रेट्स ने प्रवेश लिया है। यही नहीं कई अन्य प्रोफेशनल डिग्रीधारी भी बीटीसी की ट्रेनिंग करने जा रहे हैं।
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में जिन अभ्यर्थियों का प्रवेश हुआ है उनमें राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय भोपाल से सिविल इंजीनियरिंग में बीई करने वाले शुभम श्रीवास्तव व इसी विश्वविद्यालय से मेकैनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक सारंग सिंह का नाम शामिल है।
उत्तर प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय से बीटेक संजय सिंह और बीफार्मेसी करने वाले सागर बंसल ने भी दाखिला लिया है। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से आर्किटेक्चर में बीए आनर्स ऋषभ कुमार और प्रज्ञा यादव ने दो वर्षीय बीटीसी में प्रवेश लिया है।
डायट की 200 सीटों के अलावा निजी कॉलेजों की 1600 सीटों पर भी कई प्रोफेशनल डिग्रीधारियों ने प्रवेश लिया है। बीटीसी करने के बाद ये अभ्यर्थी प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक बनेंगे। शिक्षक भर्ती के लिए इन्हें प्राथमिक या उच्च प्राथमिक स्तर की यूपी-टीईटी या सीटीईटी भी पास करनी होगी।
उत्तर प्रदेश में 2010 से बीटेक, बीएएमएस, बीफार्मा, बीसीए आदि कोर्स को बीटीसी के लिए मान्य किया गया था। उसके बाद से कई प्रोफेशनल डिग्रीधारियों ने बीटीसी ट्रेनिंग ली और आज की तारीख में सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं।
इनका कहना है
बीटीसी-15 बैच में कई प्रोफेशनल कोर्स करने वाले अभ्यर्थियों ने भी प्रवेश लिया है। उम्मीद है कि इन युवाओं के टीचर बनने से कक्षा एक से आठ तक की पढ़ाई और बेहतर होगी।
राजेन्द्र प्रताप, डायट प्राचार्य
एलॉटमेंट के बाद भी सीट खाली तो कॉलेज जिम्मेदार
इलाहाबाद। डायट प्राचार्य राजेन्द्र प्रताप ने निजी बीटीसी कॉलेजों के लिए साफ किया है कि यदि प्रशिक्षु एलॉट किए जाने के बावजूद सीट खाली रह जाती है तो कॉलेज स्वयं जिम्मेदार होगा। शिकायत मिल रही है कि कुछ कॉलेज अभ्यर्थियों से तय फीस के अलावा रुपयों की डिमांड कर रहे है। इसके चलते कई अभ्यर्थी वापस लौट जा रहे हैं। यह स्थिति उचित नहीं है और यदि प्रशिक्षु एलॉट होने के बाद भी सीट खाली रह जाती है तो डायट की जिम्मेदारी नहीं होगी।