लखीमपुर-खीरी : पति प्रधान बन गए फिर भी पत्नी बना रही स्कूल में खाना, पद पाने के बावजूद न तो प्रधान जी बदले और न ही उनकी रसोइया पत्नी इस दंपति की हो रही पूरे क्षेत्र में सराहना
निघासन-खीरी। यह खबर उन लोगों के लिए है जो पद पाते ही बौरा जाते हैं। लेकिन दौलतपुर के प्रधान और उनकी पत्नी इस मामले में मिसाल कायम कर रहे हैं। प्रधान बनने के बाद न तो वह बदले और न ही उनकी पत्नी। उनकी पत्नी आज भी पहले की ही तरह गांव के ही सरकारी स्कूल में खाना बना रही हैं। आज के जमाने में जहां लोग कोई पद पाते ही अपना अतीत भूल जाते हैं और लोगों से दुआ सलाम तक बंद कर देते हैं वहीं दौलतापुर के ग्राम प्रधान और उनकी पत्नी ने इस मामले में मिसाल कायम कर दी है। यहां बता दें कि दौलतापुर निवासी शत्रोहन लाल की पत्नी सावित्री देवी गांव के ही उच्च प्राथमिक विद्यालय में रसोइया के रूप में कार्यरत हैं। पिछले पंचायत चुनाव में गांव की प्रधानी की सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुई तो लोगों ने इन्ही शत्रोहन लाल को प्रधानी का चुनाव लड़वा दिया। किस्मत ने साथ दिया और वह जीत भी गए। ऐसे में ज्यादातर लोगों को यही उम्मीद थी कि अब भला प्रधान जी पत्नी स्कूल में रसोइया का काम क्यों करेंगीं और वह नौकरी छोड़ देंगी। लेकिन चुनाव जीतने के बाद भी न तो प्रधान जी बदले और न ही उनकी पत्नी। प्रधान जी आज भी पहले की ही तरह खेती का भी काम देखते हैं और जानवरों के लिए खुद ही चारा भी लाते हैं। वहीं उनकी पत्नी सावित्री देवी भी पहले की ही तरह स्कूल में पूरी ड्यूटी देती हैं और बच्चों के लिए खाना बनाती हैं। उनके साथ काम करने वाली अन्य रसोइया भी उनके इस व्यवहार की कायल हैं। वहीं सावित्री देवी का कहना है कि पति प्रधान हो गए तो क्या मैं अपना काम करना बंद कर दूं। नौकरी छोड़ देने पर उन्हें इतने सारे बच्चों का प्यार कैसे मिलेगा। प्रधानी तो सिर्फ पांच साल की है। उसके चक्कर में वह अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटना चाहतीं। सचमुच इस दंपति का यह व्यवहार काबिले तारीफ है। पूरे क्षेत्र में इसकी सराहना भी हो रही है।
📌 लखीमपुर खीरी : पति प्रधान बन गए फिर भी पत्नी बना रही स्कूल में खाना, पद पाने के बावजूद न तो प्रधान जी बदले और न ही उनकी रसोइया पत्नी इस दंपति की हो रही पूरे क्षेत्र में सराहना
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