इलाहाबाद : राजकीय विद्यालयों के नाम बड़े, दर्शन छोटे, यूपी बोर्ड का हाईस्कूल हो या फिर इंटर परीक्षा परिणाम उसमें राजकीय इंटर कालेजों का वर्चस्व रहा
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : यूपी बोर्ड का हाईस्कूल हो या फिर इंटर परीक्षा परिणाम उसमें राजकीय इंटर कालेजों का वर्चस्व रहा है। शायद इसीलिए जिला मुख्यालयों पर खुले राजकीय कालेजों में प्रवेश पाने के लिए होड़ मचती थी और प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करने वालों को ही दाखिला मिलता रहा है। यह और ऐसी ही और कई बातें अब गुजरे जमाने की हो चली हैं। अब न तो राजकीय कालेजों के परीक्षार्थी अव्वल आ रहे हैं और न ही दाखिले को मारामारी हो रही है। इसकी वजह कालेजों में न तो प्रधानाचार्य हैं और न ही शिक्षक।
अफसर इस ओर गंभीर ही नहीं है लगातार पद खाली होने का सिलसिला जारी है। अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में ही प्रधानाचार्य एवं शिक्षकों का संकट नहीं है, बल्कि प्रदेश भर के राजकीय कालेजों में इधर पांच वर्षो से स्थिति ज्यादा गंभीर है। 800 से अधिक राजकीय बालक-बालिका कालेजों में प्रधानाचार्य ही नहीं है। किसी तरह से कामकाज प्रभारियों के भरोसे चल रहा है। ऐसे ही एलटी ग्रेड व प्रवक्ता पद भी खाली चल रहे हैं, जो शिक्षक हैं भी वह भी नियमित अंतराल पर सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इसका असर पठन-पाठन पर पड़ रहा है। शायद यही वजह है कि कालेजों में छात्र-छात्रओं की संख्या निरंतर कम होती जा रही है। सरकार ने जिन कालेजों को समय-समय पर उच्चीकृत किया है उनकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है। अधिकांश विद्यालयों में वरिष्ठ प्रवक्ता के कंधों पर स्कूल संचालन की जिम्मेदारी है।
गणित, विज्ञान, अंग्रेजी शिक्षक नहीं : राजकीय कालेजों में छात्र-छात्रओं की घटती तादाद की मुख्य वजह अहम विषयों के शिक्षकों का टोटा है। गणित, विज्ञान व अंग्रेजी जैसे विषयों को पढ़ाने वाला कोई नहीं है। इन विषयों को गैर विषय का शिक्षक पढ़ा भी नहीं सकता। ऐसे ही संगीत वादन, अरबी, पाली व फारसी आदि के शिक्षकों की राह देखी जा रही है।
16645 एलटी ग्रेड की भर्ती अधूरी : राजकीय कालेजों के लिए 6645 एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया दो साल पहले शुरू हुई थी। डेढ़ बरस तक तमाम प्रयास के बाद भी एक तिहाई ही पद भरे जा सके हैं, बाकी खाली पड़े हैं। अफसरों ने सभी संयुक्त सहायक शिक्षा निदेशकों को ढिलाई बरतने पर चेतावनी तक जारी करके भर्ती प्रक्रिया रोक दी है और अब नियमावली में बदलाव की राह देखी जा रही है। रिक्त पदों की संख्या बढ़कर दस हजार के ऊपर पहुंच गई है।
प्रमोशन प्रक्रिया भी अटकी : राजकीय कालेजों के 1652 पदों पर शिक्षकों का प्रमोशन होना है। इसके लिए उप्र लोकसेवा आयोग को डीपीसी कराने के लिए पत्र लिखा गया है, लेकिन अब तक प्रक्रिया शुरू करने की तारीख भी तय नहीं हो सकी है। इससे संकट निरंतर गहराता जा रहा है