बरेली : ...…...तो इसलिए आज भी इतने बच्चों का स्कूल में नहीं लिखा गया है नाम
बरेली, वरिष्ठ संवाददाता । सरकारी स्कूल में बच्चों का एडमिशन नहीं होने के पीछे बड़ा कारण बच्चों का कामकाज में लगा होना ही माना जाता है। बेसिक शिक्षा विभाग के सर्वे में साफ हो गया है कि बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे भी हैं जो अपने भाई-बहनों की देखभाल और घर के कामकाज के कारण स्कूल नहीं जा पा रहे हैं।
विभाग ने इस बार हाउस होल्ड सर्वे कराया तो 292 बच्चे ऐसे मिले जिनका स्कूल में नाम ही नहीं लिखा गया। इनमें से अधिकांश बच्चे ऐसे हैं जो बाल श्रम के कारण पढ़ाई से वंचित हैं। मगर 51 बच्चे ऐसे भी मिले जो अपने भाई-बहन की देखभाल के कारण स्कूल नहीं जाते हैं ।
इनमें अधिकांश बच्चे बेहद गरीब तबके के हैं। इनके माता-पिता दोनों मजदूरी करते हैं। घर के छोटे बच्चे की जिम्मेदारी बड़े हो चुके बच्चे को संभालनी होती है। एक बड़ी संख्या ऐसे बच्चों की भी है जो घर के कामकाज के कारण स्कूल नहीं जा पाते हैं। इनमें लड़कियों की संख्या ज्यादा है। बीएसए ऐश्वर्या लक्ष्मी यादव ने कहा कि अब इन सभी बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिलाने की कवायद शुरू की जाएगी।
सही से सर्वे हो तो ज्यादा हो संख्या
सोसाइटी फॉर रुरल वेलफेयर के मोहित अग्निहोत्री का कहना है कि हाउस होल्ड सर्वे ईमानदारी से हो तो स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों की संख्या हजारों में निकले। उन्होंने बाल श्रम बंद कराने के अभियानों पर भी सवाल उठाया। कहा- जब तक खुद पब्लिक नहीं चाहेगी तब तक बाल श्रम नहीं रुक सकता।
खुशखबरी! दिव्यांग छात्रों की बढ़ गई संख्या
सत्र 2016-17 में बेसिक स्कूलों में दिव्यांग छात्रों की संख्या में इजाफा हुआ है। पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार 88 दिव्यांग छात्र ज्यादा हैं। इस बार कुल 1996 छात्रों को बेसिक स्कूलों में प्रवेश मिला है। इनमें 53 छात्र पूर्ण रूप से दृष्टिबाधित हैं। सरकार ऐसे छात्रों को हर महीने 250 रुपये का किराया भत्ता भी दे रही है। बस इसके लिए छात्र की उपस्थिति 75 प्रतिशत होना अनिवार्य है।
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