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बाराबंकी : सात वर्षों से शिक्षा की अलख जगाती एक शिक्षिका

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सात वर्षों से शिक्षा की अलख जगाती एक शिक्षिका

बाराबंकी, 05 सितम्बर । उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जनपद में रामनगर तहसील क्षेत्र अंतर्गत सूरतगंज ब्लाक स्थित ज़मखा गाँव में एक शिक्षिका सात वर्षो से शिक्षा का अलख जगा रही है। घाघरा नदी के किनारे बाढ़ का पानी झेल कर विद्यालय पहुंचने वाली शिक्षिका वर्षो से रोजाना विद्यालय पहुंच जाती है। बाराबंकी के सूरतगंज ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय में गाँव के परिवारों के बच्चें शिक्षा प्राप्त करते हैं। घाघरा के तराई वाले बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र में बने इस सरकारी प्राथमिक विद्यालय में अक्सर बाढ़ के समय हर साल जुलाई से अक्टूबर के समय तक घाघरा नदी में बाढ़ का प्रकोप रहता है और उस समय नदी पार करके स्कूल तक पहुँचना सरकारी अधिकारियों के लिए टेढी खीर सा साबित हो जाता है। ऐसे में एक महिला शिक्षिका ने इन सभी चुनौतियों का डटकर सामना करते हुए बच्चों को पढ़ाने पहुंच जाती है। महिला शिक्षिका का नाम बॉबी सिंह है, जो इस ज़मखा प्राथमिक विद्यालय में पिछले सात वर्षों से अनावरत पढ़ा रही हैं। शुरुआत के दौर में आने वाली परेशानियों और तकलीफों को झेलते झेलते एक समय तो ऐसा आया कि साहसी बाबी सिंह की हिम्मत भी जवाब दे गयी, तब उन्होंने अपने ट्रांसफर के लिए अधिकारियों से लेकर मंत्री और मुख्यमंत्री तक फ़रियाद की लेकिन बॉबी सिंह का ट्रांसफर ना हो सका और होता भी कैसे क्योंकि एक तो इस विद्यालय में कोई टीचर आना नहीं चाहता था। बता दें कि बाबी सिंह का परिवार में उनके किसान पति के अलावा एक पुत्र और पुत्री भी है। बाबी सिंह बाराबंकी शहर में रहती हैं, जहाँ से उनका विद्यालय लगभग 80 किलोमीटर दूर है और घाघरा नदी में नाव के द्वारा विद्यालय तक पहुंचने पर लगभग 4 घंटे से अधिक का समय लगता है। इन्हीं सब परेशानियों को देखते हुए अब बाबी सिंह ने विद्यालय में ही अपना अस्थायी निवास बना लिया है और हफ्ते में रविवार को व अन्य अवकाश के दिन वह अपने परिवार से मिलने बाराबंकी शहर आ जाती हैं। गांव वालों की मानें तो वह लोग बॉबी सिंह की हिम्मत और दिलेरी के कायल हैं, उन्हें बाबी सिंह के रूप में अपने बच्चों की शिक्षा के लिए मानों साक्षात् माँ सरस्वती मिल गयी हैं।

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