रिटायर्ड होने के बाद भी खत्म नहीं हुआ पढ़ाने का जज्बा
चेहरे पर झुर्रियां, आंखों पर चश्मा और हाथ में किताब। अरमान है कि गांव में कोई अनपढ़ न रहे। इसलिए 67 साल की उम्र में हर सुबह निकलते हैं शिक्षा की अलख जगाने। हर घर से बच्चे को स्कूल लाते हैं और करते हैं संस्कारोें का रोपण। खास बात यह है कि वे इसके एवज में कुछ लेते भी नहीं है। बस ज्ञान बांटना ही उनका शगल है। अपने जुनून के चलते वे बच्चों के साथ-साथ पूरे गांव वासियों के दिल पर राज कर रहे हैं। जी हां कुछ ऐसी ही कहानी है गांव भदुआ निवासी राजपाल सिंह की। शिक्षा का दीप जलाने को वे बढ़ती उम्र में भी पीछे नहीं हट रहे।
जिले के गांव भदुआ के शिक्षक राजपाल सिंह पर ग्रामीणों को नाज है, क्योंकि उनकी कोशिश गांव को शिक्षा से रोशन कर रही है। वह बीते छह सालों से गांव के बच्चों को निशुल्क शिक्षित कर रहे हैं। बच्चों को समय-समय पर कापियां और अन्य सामग्री वितरित करते हैं। राजपाल सिंह वर्ष 2009 में निधौलीकलां ब्लॉक के गांव बरई स्थित जूनियर हाइस्कूल में शिक्षक पद से सेवानिवृत्त हुए, लेकिन सेवा का जज्बा कम नहीं हुआ। वे लगातार चार साल तक स्कूल जाकर बच्चों को शिक्षित करते रहे। सुबह पांच किमी पैदल चलकर जाते और ज्ञान बांटते। वर्ष 2013 में जब स्कूल में शिक्षकों की भर्तियां हुई तो अपने गांव के ही स्कूल में बच्चों को शिक्षित शुरू किया। राजपाल सिंह को दो साल पहले बीएसए ने मानदेय का प्रस्ताव रखा तो उन्होंने मना कर दिया। बोले मुझे धन का लालच नहीं है। ज्ञान ही सबसे बढ़ा धन है। स्कूल की प्रधानाध्यापिका प्रतिंका उनके सेवा भाव और सहयोग की सराहना करती हैं।
राजपाल सिंह कहते हैं कि ज्ञान बांटने से बढ़ता है। अगर बच्चे शिक्षित होंगे तो देश का विकास होगा। मेरा सपना है कि गांव का हर बच्चा शिक्षित हो। इसलिए सेवा के तौर पर मदद करता हूं।
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दंड विहीन शिक्षा ने दिलाया राष्ट्रपति पुरस्कार
दंड विहीन, संस्कारयुक्त और गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा ने उनको राष्ट्रपति पुरस्कार का तमगा दिलाया है। जिले के गांव बड़ागांव स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय के सहायक अध्यापक मुनीश चंद्र को आज राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। मुनीश चंद्र को पहले भी राज्य स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। बेटे को राष्ट्रपति पुरस्कार मिलने से मां और पिता का सिर गर्व से ऊंचा हो गया है।
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नई पहल से संवारी शिक्षा की सेहत
जिले के अवागढ़ विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय गणेशपुर प्रथम में तैनात प्रधानाध्यापक धीरज पाल सिंह को सोमवार को लखनऊ में राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। धीरज पाल को श्रेष्ठ शिक्षक का तीन बार पुरस्कार मिल चुका है।
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प्रतिभा निखारकर बनाए होनहार
शहर के गांधी स्मारक इंटर कालेज के प्रधानाचार्य डा. दिनेश वशिष्ठ को लखनऊ में सोमवार को राज्य शिक्षक पुरस्कार मिलेगा। विकलांग शिविर, युवक रैली, पौधरोपण, मतदाता जागरूकता के अलावा विज्ञान प्रदर्शनी और संगोष्ठियों के जरिए उन्होंने हमेशा विद्यार्थियों को प्रेरित किया है। डा. वशिष्ठ पुरस्कार प्राप्त करने के लिए लखनऊ रवाना हो चुके हैं।
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शिक्षा से ही मिलता है संतोष
जैथरा ब्लॉक के गांव नगला लीलाधर स्थित परिषदीय विद्यालय के शिक्षक संतोष श्रीवास्तव को भी राज्य पुरस्कार शिक्षक के लिए चुना गया है। उनको शिक्षा से ही संतोष मिलता है। बच्चों को शिक्षित करने के साथ संतोष कुमार सामाजिक कार्यों में अहम भूमिका निभाते हैं।