इलाहाबाद : अब आयोग को शासन की संजीवनी की दरकार, 1652 असिस्टेंट प्रोफेसर पदों की भर्ती का इंतजार और लंबा होने के आसार
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग पर लगा ग्रहण दूर करने के लिए एक बार फिर शासन पर निगाहें टिकी हैं। यदि जल्द ही नए सदस्यों का नियुक्तियां न की गईं तो आयोग का हाल फिर पहले जैसा ही हो सकता है। वर्तमान में आयोग में अध्यक्ष के अलावा सिर्फ एक ही सदस्य शेष रह गए हैं, जो मौजूदा हाल में कोई भी फैसला लेने में सक्षम नहीं हैं। इससे 1652 असिस्टेंट प्रोफेसर पदों की भर्ती का इंतजार और लंबा होने के आसार हैं।
वैसे सदस्यों के अकाल के बावजूद आयोग मे नौ दिन चले अढ़ाई कोस की तर्ज पर काम हो रहा है। चूंकि कोरम रहते 1652 पदों की भर्ती का साक्षात्कार शुरू करा दिया गया था इसलिए इसमें कोई व्यवधान नहीं है। यह अलग बात है कि सदस्यों की नियुक्ति होती तो बोर्ड की संख्या बढ़ जाती और यह काम जल्दी निपट जाता। आयोग के सूत्र बताते हैं कि यदि सदस्यों की नियुक्ति नहीं हुई तो साक्षात्कार की यह प्रक्रिया अगले साल तक खिंच जाएगी। इसके अलावा आयोग ने 1150 रिक्त पदों पर भर्ती की प्रक्रिया भी शुरू करा दी है, जो सदस्यों की कमी से प्रभावित हो जाएगी। आयोग के सूत्रों का कहना है कि सदस्यों की नियुक्ति के लिए शासन स्तर पर चल रही प्रक्रिया में तेजी आई है और इसी महीने चयन हो जाने की संभावना है। आयोग के अध्यक्ष प्रभात मित्तल ने भी वस्तुस्थिति से शासन को अवगत कराया है।
यह विडंबना ही है कि उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग का विधिवत गठन न हो पाने की वजह से बीते छह साल से डिग्री कालेज के शिक्षकों की एक भी नियुक्तियां नहीं हो पाई हैं। कमोबेश यही स्थिति प्राचार्य पदों की भी है। खुद सरकार भी इससे उदासीन ही रही, क्योंकि जो नियुक्तियां की भी गईं, वह विवादों में फंसी रहीं। लंबे समय तक तो कार्यवाहक अध्यक्ष रामवीर सिंह यादव से काम चलाया गया। उनकी नियुक्ति हाईकोर्ट ने अवैध पाई। इसके बाद जुलाई में पूर्व प्रशासनिक अधिकारी एलबी पांडेय को भेजा गया लेकिन वह महज दो माह ही रह सके। उनकी नियुक्ति भी कोर्ट ने रद कर दी। इससे पहले तीन सदस्यों की नियुक्ति रद की जा चुकी थी। सचिव पद पर संजय सिंह की नियुक्ति को लेकर भी विवाद रहा। नया अध्यक्ष आने के बाद आयोग पटरी पर आया जरूर लेकिन अब फिर स्थिति जस की तस पहुंच गई है।
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