इलाहाबाद : अध्यापकों की भर्ती एक प्रक्रिया तीन, सरकार की ओर अध्यापकों की भर्ती के लिए नियमों में लगातार संशोधन किया जा रहा
इलाहाबाद (ब्यूरो)। उच्च शिक्षण संस्थानाें में अध्यापकों की भर्ती के लिए हर स्तर पर अलग-अलग प्रक्रिया से अभ्यर्थियाें के सामने दुविधा की स्थिति है। असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कहीं सिर्फ साक्षात्कार के आधार भर्ती होती है तो कहीं लिखित परीक्षा और इंटरव्यू दोनों के अंक जोड़े जाते हैं। केंद्रीय विश्वविद्यालयों तथा कॉलेजों में परीक्षा ही नहीं होती। सिर्फ साक्षात्कार होता है। ऐसे में प्रतियोगियों के सामने सबसे अधिक चुनौती तैयारी को लेकर है।
केंद्रीय विश्वविद्यालयों में यूजीसी के नियमानुसार एपीआई स्कोर के आधार पर आवेदन पत्रों की छंटनी की जाती है। इसके बाद साक्षात्कार के आधार पर फाइनल मेरिट तय की जाती है। संबद्ध कॉलेजों में भी वही प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसके विपरीत राज्य विश्वविद्यालय के कालेजों में लिखित परीक्षा होती है। इनमें भी राजकीय महाविद्यालयों के लिए लिखित परीक्षा सिर्फ स्क्रीनिंग के लिए होती है। यानी, इसके अंक फाइनल मेरिट में नहीं जोड़े जाते। अंतिम रूप से चयन साक्षात्कार के आधार पर होता है। वहीं सहायता प्राप्त अशासकीय कालेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए लिखित परीक्षा के अंक फाइनल मेरिट में भी जोड़े जाते हैं।
खास यह कि सरकार की ओर अध्यापकों की भर्ती के लिए नियमों में लगातार संशोधन किया जा रहा है। जुलाई में नियमावली-2016 के नाम से भर्ती का नया प्रारूप जारी किया गया है लेकिन उसमें एकरूपता पर कोई बात नहीं हुई। प्रतियोगी अमित माथुर, रोशनी जायसवाल का कहना है कि यूजीसी की ओर से न्यूनतम योग्यता को लेकर भी रोजाना संशोधन किए जा रहे हैं। इससे भी भर्तियों में विवाद बना रहता है।