लखनऊ : उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के दो सदस्यों की नियुक्ति निरस्त, सुप्रीम कोर्ट के आदेश से दोनों खो चुके थे सदस्य पद पर चयन का आधार, उच्च शिक्षा विभाग ने जारी की अधिसूचना
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : प्राचार्य के पद पर चयन विवादित होने के बावजूद डॉ.अजब सिंह यादव और डॉ.योगेंद्र कुमार द्विवेदी को उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग का सदस्य बनाने का दांव राज्य सरकार को उल्टा पड़ गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की वजह से आयोग का मेंबर बनने की योग्यता खो चुके इन दो सदस्यों की नियुक्ति को राज्य सरकार को निरस्त करना पड़ा है। उच्च शिक्षा विभाग ने दोनों सदस्यों की नियुक्ति निरस्त किये जाने की अधिसूचना जारी कर दी है। दोनों सदस्यों की नियुक्ति रद होने से आयोग में एक बार फिर कोरम का संकट पैदा हो गया है।
अखिलेश सरकार ने कासगंज के गंज डुंडवारा कॉलेज के प्राचार्य डॉ.योगेंद्र कुमार द्विवेदी और मैनपुरी के नेशनल पीजी कॉलेज, भोगांव के प्राचार्य डॉ.अजब सिंह यादव को 14 जून, 2016 को आयोग का सदस्य नियुक्त किया था। उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग अधिनियम के मुताबिक आयोग का सदस्य किसी ऐसे व्यक्ति को ही बनाया जा सकता है जो कम से कम पांच साल किसी स्नातकोत्तर महाविद्यालय का प्राचार्य रहा हो। सरकार ने इसी आधार पर इन दोनों को आयोग का सदस्य नियुक्त किया था। उधर सुप्रीम कोर्ट ने एक अपील की सुनवाई करते हुए 15 जुलाई 2016 को एक आदेश जारी किया। इस आदेश के जरिये सुप्रीम कोर्ट ने उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के विज्ञापन संख्या-39 के आधार पर 30 जून और दो जुलाई 2008 को जारी चयन सूचियों में शामिल 157 प्राचार्यो के चयन को रद कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने चयनित सभी प्राचार्यो को उनके मूल कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर वापस भेजने का निर्देश दिया है।
शीर्ष अदालत ने प्राचार्य पद पर चयनित जिन 157 शिक्षकों को रिवर्ट करने का आदेश दिया है, उनमें डॉ.अजब सिंह यादव और डॉ.योगेंद्र कुमार द्विवेदी भी शामिल हैं। चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने दोनों सदस्यों के प्राचार्य पद पर हुए चयन को ही रद कर दिया है, इसलिए दोनों सदस्य प्राचार्य का कार्यभार ग्रहण करने की तारीख से ही प्राचार्य नहीं रह गए। योग्यता न रखने के कारण आयोग के सदस्य पद पर उनकी नियुक्ति अवैधानिक हो चुकी थी। लिहाजा सरकार को उनकी नियुक्ति रद करने का कदम उठाना पड़ा। उच्चतर शिक्षा आयोग में अध्यक्ष के अलावा सदस्यों के छह पद सृजित हैं। दोनों सदस्यों की नियुक्त रद होने के बाद अब आयोग में अध्यक्ष प्रभात मित्तल के अलावा सिर्फ एक सदस्य रामेंद्र बाबू चतुर्वेदी ही बचे हैं।