महराजगंज : एक अभियान, होमवर्क के बोझ से मुरझाता बचपन, कक्षा चार तक नहीं मिलना चाहिए होमवर्क - शिक्षाविद टीपी सिंह
जागरण संवाददाता, महराजगंज : होमवर्क के लोड से बच्चों के साथ ही माता-पिता भी परेशान रहने लगे हैं। इसके दबाव से बचपन मुरझाता जा रहा है। अब तो इसका दबाव बच्चों संग अभिभावक को भी महसूस होने लगा है और वे शिक्षा व्यवस्था को कोस रहे हैं।जागरण टीम ने आज इंग्लिश मीडियम व प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा चार तक के बच्चों के माता-पिता व शिक्षाविदों से बात की।
प्रस्तुत है अभिभावकों संग शिक्षाविदों की जुबानी होमवर्क से बच्चों को होने वाली परेशानी की कहानी
होमवर्क के दबाव से गुमसुम रहता बच्चा
गृहिणी द्रोपदी विश्वकर्मा ने बताया कि बेटा कृष्णा शहर में स्थित एक प्रतिष्ठित स्कूल में कक्षा चार में पढ़ता है। इस स्कूल से प्रतिदिन हर विषय में इतना होमवर्क मिलता है कि उसे पूरा करने से वह घबराता है। बच्चों को खेलते देख खेलने को जोर मारता है। हमारा मानना है कि छोटे बच्चे को होमवर्क नहीं मिलना चाहिए।
होमवर्क पर लगे रोक
गृहिणी सुधा जायसवाल कहती हैं कि बेटा विपुल एक प्राइवेट स्कूल में कक्षा एक में पढ़ता है। स्कूल से लौटते ही होमवर्क के दबाव से वे ठीक से खेलकूद भी नहीं पाता। होम वर्क पर रोक लगनी चाहिए।
बच्चों में बढ़ रहा तनाव
शिक्षाविद सत्य प्रकाश वर्मा कहते हैं कि कक्षा चार तक के बच्चों को तो होमवर्क मिलना ही नहीं चाहिए। पर अब वर्तमान समय में निजी स्कूलों से एलकेजी में पढ़ने वाले बच्चों पर भी होमवर्क लाद दिया जा रहा है, जो उन्हें बीमारी की ओर धकेल रहा है। यह होमवर्क बच्चों में तनाव बढ़ा रहा है।
कक्षा चार तक नहीं मिलना चाहिए होमवर्क
शिक्षाविद टीपी सिंह ने कहा कि एलकेजी से लेकर कक्षा चार तक के बच्चों को होमवर्क नहीं मिलना चाहिए। इससे बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। स्कूल में चार से पांच घंटे पढ़ने के बाद घर आते ही होमवर्क के दबाव से बचपन दबता जा रहा है, इसलिये इस पर रोक लगाया जाना चाहिए।
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