मदरसा संचालक भर रहे है अपनी जेबें, शून्य पर बच्चों की शिक्षा का स्तर
संवाददाताः शिवशक्ती सैनी, महोबा (उत्तर प्रदेश)
महोबाः उत्तर प्रदेश सरकार अल्पसंख्यकों खासकर मुसलमान बच्चों को मदरसों में दीनी तालीम के अलावा दुनियावी शिक्षा देने पर जोर दे रही है। सपा सरकार मदरसों को हाईटेक बनाने के लिए बड़ा बजट खर्च कर रही है और मदरसे के टीचरों को भी सरकारी इमदाद दी जा रही है। लेकिन महोबा में कई मदरसे ऐसे है जो सिर्फ खाना पूर्ति कर रहे है। मदरसों में शिक्षा का कोई स्तर नहीं है। बच्चों को जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री का नाम तक नहीं पता वहीं क्लास आठ के बच्चे को एलिफैंट की इस्पेलिंग तक नहीं मालूम। खास बात तो यह है कि इन मदरसों के मैनेजर जमात से चन्दा और सरकार से इमदाद लेकर अपनी जेबे भर रहे है। ऐसा ही एक मदरसा महोबा के भटीपुरा में संचालित है। जहां शिक्षा का पता नहीं पर आमदनी का मैनैजर को पता है।
प्रदेश की सपा सरकार अल्पसंख्यकों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए तमाम योजनाएं चला रही है। खासकर मुस्लिम तबके के गरीब बच्चों को दिनी मालूमात के साथ साथ दुनियावी शिक्षा से भी जोड़ने के लिए एडिड सरकारी मदरसे भी संचालित करा रही है। इन मदरसों के जरिये सरकार उर्दू, अरबी के आलावा हिंदी, अंग्रेजी जैसे विषयों को पढ़ाने पर भी जोर दे रही है। इसके लिए सरकार मदरसों में पढ़ाने वाले अध्यापकों को मानदेय भी देती है। मगर ये मदरसे सिर्फ जेबें भरने का जरिया बनी हुई है और शिक्षा के नाम पर सिर्फ मिड डे मील का खाना चल रहा है।
महोबा के मुहल्ला भटीपुरा में संचालित मदरसा दारुल उलूम समदिया निसवा अपनी ऐसी ही कारगुजारियों के लिए चर्चा में बना हुआ है। 1995 में इस मदरसे की नींव रखी गई थी और आवाम से चन्दा कर मदरसे का संचालन शुरू हुआ था। कुछ वर्ष पूर्व इस मदरसे को सरकार ने इसलिए एडिड कर सरकारी इमदाद देनी शुरू की ताकि गरीब मुस्लिम बच्चे दिनी और दुनियावी शिक्षा ले सके। मगर इस मदरसे में ऐसा कतई नजर नहीं आया। मदरसे के जरिये मदरसा संचालक सिर्फ अपनी जेबें भरने में लगे है जबकि बच्चों का शिक्षा का स्तर शून्य है।
मदरसे में 182 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे है। इन बच्चों को 13 टीचर पढ़ा रहे है। इन टीचरों को सरकार मानदेय भी दें रही है मगर यहां तो बच्चों के मदरसे के प्रंसिपल का नाम तक नहीं पता। मदरसे में दो टेलीफोन कंपनियों के टावर लगे है इन टावरों के किराये को भी ठिकाने लगाने का काम संचालक द्वारा किया जा रहा है।
जानकारों की माने तो संचालक, मदरसे में पढ़ाने वाले टीचरों से भी बिल्डिंग निर्माण के लिए मानदेय से कमीशन की मांग करते है। खैर जब हमारी टीम ने बच्चों के शैक्षिक स्तर को परखा तो हाईटेक मदरसे की पोल खुल गई। भरी बड़ी बिल्डिंग में संचालित इस मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों को शिक्षा का स्तर शून्य देखने को मिला। क्लास पांच में पढ़ने वाले बच्चे सलमान को अपने विषय तक का ज्ञान नहीं यहीं नहीं उसे प्रदेश के मुख्यमंत्री तक की कोई जानकारी नहीं है। खास बात तो यह है कि मदरसे के प्रंसिपल तक का नाम ये बच्चा नहीं बता पाया है।
ऐसा ही हाल पांचवी जमात में पढ़ने वाली तमन्ना का था। वो भी अपना विषय नहीं बता पाई। तमन्ना को एलिफैंट की इस्पेलिंग तक नहीं आती। छटवीं जमात में पढ़ने वाले बच्चे शाहिद को भी हमारा पर्यावण के बारे में कोई जानकारी नहीं है ! यहाँ सिर्फ बच्चों को मिड डे मील का खाना परोसा जा रहा है।
इसके चलते मैनेजर अपनी जरूरतों को पूरा कर रहे है। मदरसे का ये हाल है और मैनेजर मुन्ना अंसारी और प्रंसिपल का कहना है कि सरकार हमें मानदेय दें रहा है मगर अभी तक बच्चों को किताबे नहीं मिली है इसलिए अभी बच्चे कमजोर है। मगर मदरसा संचालक मुन्ना अंसारी का कहना है कि बच्चों को 13 टीचर पढ़ा रहे है और बच्चों को दुनियावी शिक्षा दी जा रही है। उनसे जब पूछा गया आप जनता से मदरसे के नाम पर चंदा लेते है और सरकार से मदद इसके अतिरिक्त टीचरों से भी मानदेय में कमीशन की मांग करते है इस सवाल पर उनका कहना था कोई देना चाहता है तो दें हम मांगते नहीं है।