अनुदान पर आने की पहले की सेवा पेंशन योग्य नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
एक महत्वपूर्ण फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी विद्यालय के राजकीय सहायता प्राप्त करने से पूर्व की गई सेवा का पेंशन में लाभ नहीं मिलेगा। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एकल पीठ के पूर्व में दिए गए आदेश को रद्द करते हुए फिर से विचार करने का निर्देश दिया है।
एकल पीठ के पूर्व में दिए गए आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की विशेष अपील पर मुख्य न्यायमूर्ति दिलीप बी भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ ने सुनवाई की। स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय, संजय चर्तुवेदी और भूपेंद्र यादव ने हाईकोर्ट द्वारा पारित बुद्धिराम केस की नजीर प्रस्तुत कर एकल पीठ ने आदेश को चुनौती दी। सिविल सर्विसेज रेग्युलेशन के पैरा 474 में कहा गया है कि 10 वर्ष की मौलिक सेवा करने वाले कर्मचारी को ही पेंशन का लाभ मिलेगा। मौलिक सेवा उसे कहेंगे, जहां नियुक्ति मौलिक रूप से हुई हो। मौलिक नियुक्ति के लिए विद्यालय का ग्रांट इज एड (सिविल सहायता प्राप्त) होना आवश्यक है। गैर राजकीय सहायता प्राप्त अवधि में की गई सेवा को पेंशन के लिए जोड़ा नहीं जा सकता है। क्योंकि इससे पूर्व की सेवा मौलिक नहीं मानी जाएगी।
उल्लेखनीय है कि फिरोजाबाद के आदर्श जनता विद्यालय जूनियर हाईस्कूल के दो शिक्षकों ने पेंशन की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इनका कहना था कि विद्यालय के ग्रांट प्राप्त करने के पूर्व की सेवाएं भी पेंशन लाभ देने के लिए जोड़ी जाएं। कहा गया कि 2002 में शासनादेश जारी किया गया कि जो शिक्षक प्रबंधकीय अंशदान जमा कर रहे हैं, उनकी ग्रांट इन एड से पूर्व की सेवाएं भी जोड़ी जाएंगी। एकल पीठ ने याचीगण को ब्याज सहित प्रबंधकीय अंशदान जमा करने की शर्त पर ग्रांट इन एड से पहले की गई सेवाओं को पेंशन लाभ में जोड़ने का आदेश दिया था।
चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस आदेश को रद्द कर मामला पुन: विचारण के लिए एकल पीठ को भेज दिया