लखनऊ : शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत बहुत कम गरीब बच्चों को नर्सरी व कक्षा एक में निश्शुल्क दाखिला निजी स्कूलों में मिल पाया
लखनऊ । राजधानी में तमाम प्रयासों के बावजूद शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत महज आठ प्रतिशत गरीब बच्चों को ही नर्सरी व कक्षा एक में निश्शुल्क दाखिला निजी स्कूलों में मिल पाया है। अच्छे निजी स्कूलों ने तो शिक्षा विभाग व शासन-प्रशासन के अधिकारियों की मान्यता वापसी की धमकी के बावजूद दाखिला नहीं लिया। कई स्कूलों ने दाखिला लेने के बाद गरीब बच्चे को कम उपस्थिति दिखाकर निकाल दिया। वहीं कुछ स्कूलों ने गरीब विद्यार्थियों से एडमिशन फॉर्म व अन्य औपचारिकताओं के नाम पर कुछ न कुछ फीस वसूल ही ली। ऐसे में गरीब बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा अच्छे स्कूलों में मिलना बेहद कठिन है।
राजधानी में निजी स्कूलों में आरटीई के तहत निश्शुल्क दाखिले के लिए 25 हजार सीटें हैं। यहां पर महज 2200 गरीब बच्चों को नर्सरी व कक्षा एक में दाखिला मिल पाया है। यही नहीं जिम्मेदार अधिकारियों ने गरीब विद्यार्थियों को मुफ्त शिक्षा देने में जो लापरवाही बरती उसका नमूना यह है कि अभी नवंबर में 700 गरीब विद्यार्थियों की सूची निकाली है, जिन्हें कोई दाखिला देने को तैयार नहीं। वहीं करीब 120 गरीब बच्चे निजी स्कूलों में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा पात्र घोषित किए जाने के बावजूद दाखिला नहीं पा सके हैं। एक्टिविस्ट प्रवीण श्रीवास्तव कहते हैं कि राजधानी में मात्र आठ प्रतिशत बच्चे ही दाखिला पा सके वह भी काफी लड़ाई के बाद। निजी स्कूलों को बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी व जिला प्रशासन के अधिकारी मान्यता की एनओसी रद करने की कागजी धमकी ही देते रहे, जमीन पर कुछ नहीं हुआ।
पूरे प्रदेश में छह लाख सैंतीस हजार एक सौ पचास सीटें निजी स्कूलों में हैं और इसमें से बहुत ज्यादा 15 हजार ही दाखिला पाएं होंगे। एक्टिविस्ट रवींद्र कुमार कहते हैं कि उन्होंने खुद राजेंद्र नगर में एक निजी स्कूल में आसमा फरहत व साक्षी राजपूत का दाखिला करवाया था, कुछ दिन बाद स्कूल ने उन्हें निकाल दिया। अभी भी 120 गरीब बच्चे दाखिला पाने के पात्र होने के बावजूद दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
वहीं एक्टिविस्ट समीना बानो का कहना है कि उन्होंने यूपी सरकार के साथ मिलकर गरीब बच्चों को दाखिला दिलाने की मुहिम चलाई है। धीरे-धीरे ही सही असर कुछ दिख रहा है। आगे सरकार की ही मदद से ऑनलाइन पोर्टल बनाया जा रहा है, इसमें अभिभावकों के आवेदन ऑनलाइन बेसिक शिक्षा विभाग संबंधित निजी स्कूल को भेजेगा। अभी निजी स्कूल एक किलोमीटर के दायरे में ही रह रहे गरीब बच्चे को दाखिला देने में दूरी ज्यादा बताने में जुट जाते हैं, इसे भी आगे पूरे वार्ड तक विस्तारित कर दिया जाएगा।