लखनऊ : भत्ते घटने से राज्यकर्मियों का कम ही रहेगा वेतन, प्रदेश में 2800 से 4200 तक पहुंचने में इंस्पेक्टर को 10 साल लग जाते हैं, जबकि केंद्र में शुरुआत 4200 से
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : सातवें वेतनमान की सिफारिशें लागू होने के बाद प्रदेश के राज्य कर्मचारी उस मैटिक्स से तो खुश हैं, जिसे देखकर वे एक नजर में अपने वेतन से लेकर प्रोन्नति तक की गणना कर सकते हैं, लेकिन इस गणना के नतीजे उन्हें परेशान भी कर रहे हैं। महीनों चलीं वेतन समिति की बैठकें अब कर्मचारियों को आडंबर से ज्यादा कुछ नहीं लग रहीं। उनका कहना है कि राज्य सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया है, जिसके लिए इतना समय खर्च किया जाता। सरकार को यही रिपोर्ट लागू करनी थी तो इसे उसी दिन एक घंटे में भी लागू किया जा सकता था, जब यह केंद्र सरकार से भेजी गई थी।
केंद्र सरकार द्वारा तैयार मैटिक्स को राज्य कर्मचारी रेडी रेकनर के तौर पर देख रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि इससे उन्हें अपने ग्रेड लेवल के अनुसार यह जानने में आसानी होगी कि किस वर्ष में क्या लाभ प्राप्त होंगे। हालांकि वेतन वृद्धि की केंद्र कर्मचारियों से तुलना करने पर राज्य कर्मचारियों में कुछ असंतोष भी है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री शिवबरन सिंह यादव बताते हैं कि केंद्र व राज्य कर्मचारियों के एक समान रैंक व कैडर में वेतन का फर्क दो वजहों से आएगा। एक तो भत्ताें में फर्क होगा और दूसरी खास बात प्रदेश में पदों की घटतौली है। पहले भत्ताें की बात करें तो इस बार केंद्र ने अपने कर्मचारियों के लिए भी भत्ताें की संख्या घटा कर आधी कर दी है। पहले जहां केंद्र में करीब 300 तरह के भत्ते होते थे, वहीं अब यह सिर्फ 144 रह गए हैं। इसमें से बच्चों की शिक्षा के लिए केंद्र सरकार जहां दो बच्चों तक के लिए प्रतिमाह प्रत्येक बच्चे की शिक्षा के उद्देश्य से छह हजार रुपये देती है, वहीं यहां प्रदेश में पिछले दिनों ऐसी मांग लेकर जाने वाले कर्मचारियों से कहा गया कि विकलांग बच्चे के लिए सरकार प्रतिमाह 150 रुपये तक दे सकती है। कर्मचारी नेता बताते हैं कि केंद्र सरकार जहां वेतन के मुकाबले औसतन 25 फीसद भत्ते देती है, वहीं प्रदेश में यह सिर्फ 10 प्रतिशत के आसपास रहता है। केंद्र व राज्य कर्मचारियों के वेतन में भत्ताें के अलावा एक बड़ा फर्क पदों में अंतर का भी है। संयुक्त परिषद के महामंत्री यादव बताते हैं कि केंद्र में चाहें जिस विभाग का इंस्पेक्टर हो, उसे 4200 रुपये का ग्रेड वेतन मिलता है, जबकि अपने यहां इंस्पेक्टर के तीन ग्रेड बना दिए गए हैं और पहले ग्रेड का वेतन 2800 रुपये है।
प्रदेश में 2800 से 4200 तक पहुंचने में इंस्पेक्टर को 10 साल लग जाते हैं, जबकि केंद्र में शुरुआत 4200 से है। इसी तरह जो लैब टेक्नीशियन प्रदेश में 2800 रुपये के वेतनमान से नौकरी शुरू करता है, सीजीएचएस में उतनी ही योग्यता और उसी पद पर लैब टेक्नीशियनों को 4200 रुपये वेतनमान मिलता है। प्रदेश में समान कैडर के पदों में से कुछ को प्रोन्नति का पद बना दिया गया। यानी जहां से शुरुआत होनी चाहिए, वहां कई साल बाद प्रोन्नति निर्धारण होने पर ही पहुंचा जा सकता है।