फिरोजाबाद : चार रुपये के फल के नाम पर मात्र एक-एक केला बांटने को विभाग ने गंभीरता से लिया
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: चार रुपये के फल के नाम पर मात्र एक-एक केला बांटने को विभाग ने गंभीरता से लिया है। शहर में एडीएम बांटने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया जा रहा है। वहीं बीएसए ने जिला कोआर्डिनेटर मध्याह्न भोजन सोनू शर्मा को निर्देश दिए हैं कि वह मामले की पड़ताल करें। केले की कीमत के आधार पर ही सोमवार को फल वितरण का मांगपत्र स्वीकारें। अगर विभाग ने ईमानदारी से पड़ताल की तो सोमवार को बंटे केले के बजट में 50 से 60 फीसद की कटौती संभावित है।
ऑपरेशन एमडीएम के तहत 'जागरण' ने सोमवार के अंक में स्कूलों में बच्चों को एक-एक केला बांटने की खबर प्रकाशित की थी। इन केलों की कीमत बाजार में 18 से 20 रुपये दर्जन है। ऐसे में चार रुपये में डेढ़-पौने दो रुपये का केला बांटने की खबर छपने पर मध्याह्न भोजन बांटने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं में खलबली मच गई। संस्था ने अपने कर्मचारियों को मंगलवार सुबह ही केले थमाकर बीएसए को दिखाने के लिए भेजा। संस्थाकर्मी बीएसए के पास पहुंचे तो बीएसए डॉ. सच्चिदानंद यादव ने डांटते हुए कहा 'हमें तो क्यों दिखाने आए हो? हम नोटिस देंगे, जवाब देना। जांच कराई जाएगी। शिक्षक जो बताएंगे, वो माना जाएगा। आप बस अपना भोजन सुधारिए। अन्यथा कार्रवाई होगी।'
बीएसए ने जिला कोआर्डिनेटर सोनू शर्मा को नोटिस जारी करने के निर्देश देते हुए कहा कि अपने स्तर से केले की रेट की जांच की जाए। इसके हिसाब से आंकलन किया जाए। उन्होंने कहा कि रेट के हिसाब से ही संस्था को 26 दिसंबर को बांटे गए फलों का भुगतान किया जाएगा। अगर एमडीएम प्रभारी गंभीरता से जांच करते हैं तो 26 दिसंबर को स्कूलों में बंटने वाले फलों के भुगतान में 50 से 60 फीसद की कटौती की संभावना है।
स्कूल में निकले बर्तन, शिक्षकों को भेजा नोटिस
प्राथमिक स्कूल माता वाला बाग व रोशन गंज में मंगलवार को बर्तन अलमारी से निकल आए। 'जागरण' में खबर प्रकाशित होने के बाद शिक्षकों ने सुबह ही अलमारी से पुराने बर्तन निकाल लिए। मंगलवार को खाना भी बर्तन में दिया। इधर विभाग ने दोनों शिक्षकों को नोटिस देते हुए स्पष्टीकरण तलब किया है। बीएसए डॉ. यादव ने कहा कि इन शिक्षकों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सरकारी बर्तन तो निकाले ही नहीं : (फोटो नंबर आठ)
रोशन गंज व माता वाला बाग स्कूल में सोमवार को बच्चों को हाथ में खाना दिया था, जबकि इन स्कूलों में सरकारी बर्तन बांटे गए हैं वो अभी तक इस्तेमाल नहीं हुए। मंगलवार को दैनिक जागरण की टीम ने पड़ताल की तो इन बर्तनों पर सरकारी योजनाओं का लगा स्टीकर इनकी पोल खोल गया। शिक्षकों ने भी स्वीकारा कि बर्तनों का प्रयोग नहीं हुआ है। स्कूल में पहले जो बर्तन खरीदे थे, उनमें ही बच्चों को खाना खिलाया जा रहा है।